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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
टीका - तीखा, कडया, कसायला, खाटा, मीठा ए पांच रस । बहुरि सुफेद, पीला, हरथा, लाल, काला ए पांच वर्ण । बहुरि सुगंध, दुर्गध, ए दोय गंध । बहुरि कोमल, कठोर, भारचा, हलका, सौला (ठंडा), ताता, रूखा, चिकना ए पाठ स्पर्श । बहुरि षडज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद ए सात स्वर असे इद्रियनि के सत्ताईस विषय पर अनेक विकल्परूप एक मन का विषय, असे विषय के भेद अट्ठाईस जानने ।
प्रागै संयम मार्गणा विर्षे जीवनि की संख्या कहै हैंपमदादि-चउण्हं जुदी, सामयिय-दुगं कमेण सेस-तियं । सत्त-सहस्सा णव-सय, णव-लक्खा तोहि परिहीणा ॥४८०॥
प्रमत्तादिचतां युतिः, सामायिकतिक क्रमेण शेषत्रिकम् ।
सप्तसहस्राणि नवशतानि, नबलक्षाणि त्रिभिः परिहानानि ।।४८०॥ दीका -- प्रमत्तादि च्यारि गुणस्थानवी जीवनि का जोड़ दीएं, जो प्रमाण होइ; तितना जीव सामायिक अर छेदोपस्थापना संयम के धारक जानने । तहां प्रमतवाले पांच कोडि, तिराणवै लाख प्रयाणवै हजार दोय से छह (५६३६८२०६), अप्रमत्तवाले दोय कोडि छिन लाख निन्याणवै हजार एक से तीन (२६६६६१०३) अपूर्व करण वाले उपशमी दोय से निन्याणवै (२६६), पांच सौ प्रयाणवै क्षायिकी, अनिवृत्ति करणवाले उपशमी २६६, क्षायिकी पांच सो अठयारावै (५९८) इनि सबनिका जोड दीएं, आठ कोडि निब्बे लाख निन्यारणवै हजार एक सै तीन भया (८९०६६१०३) सो इतने जीव सामायिक संयमी जानने । अर इतने ही जीव छेदहे. पस्थापना संयमी जानने । बहुरि अवशेष तीन संयमी रहे, तहां परिहारविशुद्धि संयमी तीन घाटि सात हजार (६६६७) जानने । सूक्ष्म सांपराय संयमी तीन घाटि नवसे (८६७) जानने । यथाख्यात संयमी तीन घाटि नव लाख (८६६६६७) जानने ।
पल्लासंखेज्जदिम, विरवाविरदाण दवपरिभाणं । पुवुत्तरासिहीणा, संसारी अविरवाण पमा ॥४८१॥
पल्यासंख्येयं, विरताविरतानां द्रव्यपरिमारणम् । पूर्वोक्तराशिहीनाः, संसारिणः अबिरसानां प्रमा ॥४८१।।