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सभ्यरक्षामचन्द्रिका भाषाटीकर 1.
जानने । जलगता पद (२०६५६२००), स्थलगता २०६८६२००, मायागता २०.६८६२००, आकाशगता २०६८६.२००, रूपगता २०६८६२०० असे ५६ जागा - बहुरि 'याजकनामेनाननं' कहिए एक कोडि इक्यासी लाख पांच हजार (१८१०५०००) पद चंद्रप्रज्ञप्ति प्रादि पांच प्रकार परिकर्म का जोड़ दीये हो हैं ।
बहुरि 'कानवधिवाचनाननं कहिए दश कोडि गुणचास लाख छियालीस हजार (१०४६४६०००) पद पाँच प्रकार चूलिका का जोड़ दीये हो हैं । ... इहां ग कार ते तीन का अंक, त कार से छह का अंक, म कार ते पांच का अंक, र कार से दोय का अंक, न कार ते बिंदी, इत्यादि अक्षर संज्ञा करि अंक संज्ञा कहे हैं । क कार ते लेय ग कार तीसरा अक्षर है; ताते तीन का अंक कह्या । बहुरि द कार तै त कार छठा अक्षर है; ताते छह का अंक कह्या । प कार ते म कार पांचवां अक्षर है; तातें पांच का अंक का । य कार ते र कार दूसरा अक्षर है; तातें दोय का अंक कह्या है । न कार तै बिदी कही है । इत्यादि यहां अक्षर संज्ञा तें अंक जानने।
पण्णवाल पणतीस, तीस पण्णास पण्ण तेरसदं । णउदी दुदाल पुग्वे, पणवण्णा तेरससयाई ॥३६॥ छस्सय पण्णालाई, चउसयपण्णास छसयपणुबोसा । बिहि लक्खेहि बु गुणिया, पंचम रूऊण छज्जुदा छठे ॥३६६॥
पंचाशदष्टचत्वारिंशत् पंचत्रिंशत् त्रिशत् पंचाशत् पंचाशत् त्रयोदशशतं । नवतिः द्वाचत्वारिंशत् पूर्वे पंचपंचाशत् प्रयोदशशतानि ॥३६५॥ षट्छृतपंचाशानि, चतुः शतपंचाशत् पछतपंचविंशतिः ।
द्वाभ्यां लक्षाभ्यां तु मुरिगतानि पंचमं रूपोनं षट्युतानि षष्ठे ॥३६६३५ टोका - उत्पाद आदि चौदह पूर्वनि विर्षे पदनि की संख्या कहिए है। तहां वस्तु का उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य, आदि अनेक धर्म, तिसका पूरक, सो उत्पादनामा प्रथम पूर्व है । इस विषं जीवादि वस्तुनि का नाना प्रकार नय विवक्षा करि क्रमवर्ती युगपत् अनेक धर्म करि भये, जे उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य, ते तीनों तीन काल अपेक्षा नव
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