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मोम्प्रसार श्रीवकामाषा ३५४
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४६६ विवक्षित गच्छ में घटाएं, अवशेष जेता प्रमाण रहै, तितने का तहाँ संकलन करना । जैसे वैशवां स्थान की विवक्षा विर्षे त्रिसंयोगी भंग ल्यावने को एक बार संकलन पर एक बार का प्रमाण एक, तातै एक अधिक दोय, सो गच्छ देश में घटाएं आठ होई । असे आठ का एक बार संकलन धनमात्र तहाँ त्रिसंयोगी भंग जानना । असे ही अन्यत्र जानना । बहुरि संकलन धन ल्यायने की पूर्व केशवव करि उक्त करण सूत्र कहे थे
तत्तो रूबहियकमे, गुणगारा होति उगच्छो ति ।
इगिरूवमादिरूउत्तरहारा होति पभवो ति ॥ . इन सूत्रनि के अनुसारि विवक्षित संकलन धन स्यायना । अब असे करण सूत्र के अनुसार उदाहरण दिखाइए है। विवक्षित.दशमां का वर्ण, तहां प्रत्येक भंग एक, द्विसयोगी एक घाटि मच्छमात्र नव, मिसंयोगी भंग दोय घाटि गच्छमात्र पाठ, ताका एक बार संकलन धनमात्र सो संकलन धन के साधन करण सूत्र के अनुसारि पाठ, नव को दोय, एक का भाग दीएं छत्तीस हो हैं। जाते आठ, नव कौं परस्पर गुणे, बहत्तर भाज्य, दोय, एक की परस्पर गुरु भागहार दोय, भागहार का भाग भाज्य कौं दीएं छत्तीस भए । असें ही चतुःसंयोगी भंग तीन पाटि गच्छ का दोय बार संकलन धनमात्र है । तहां सात, आठ, नव कौं तीन, दोय, एक का भाग दीएं, चौरासी
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बहरि पंच संयोगी च्यारि धादि गच्छ का तीन बार संकलन धनमात्र है। तहां छह, सात, अंठ, नव कौं च्यारि, तीन, दोय, एक का भाग दीएं एक सै छब्बीस हो हैं ।
बहुरि छह संयोगी पांच घाटि सच्छ का च्यारि बार संकलन धनमात्र हैं । तहां पांच, छह, सात, आठ, नव कौं पांच, च्यारि, तीन, दोय, एक का भाग दीएं एक से छब्बीस हो हैं। ... बहुरि सप्प संयोगी छह घाटि गच्छ का पांच बार संकलन धनमात्र है. तहां च्यारि, पांच, छह, सात, आठ, नव कौं छह, पांच, च्यारि, तीन, दोय, एक का भाग दीएं चौरासी हो हैं।
बहुरि पाठ संयोगी सात घाटि गच्छ का छह बार संकलन धनमात्र है । तहां तौने, च्यारि, पांच, छह, सात, पाठ, मवें कौं सात, छह, पांच, च्यारि, तीन, दोय, एक को भाग दीएं छत्तीस हो हैं ।