________________
सम्यमानर्धात्रका भाषाटी
। ४२३ असंख्यात लोक प्रमाण स्थानकनि विर्षे मध्यम कृष्णा, नील, कपोत, पीत, पय लेश्या पर जघन्य शुक्ल लेश्या पाइए है । जातें इहां तिनि छही लेश्यानि का लक्षण संभव है । जैसे क्रोध का अनुत्कृष्ट शक्तिस्थान का जे स्थान भेद, तिनि विर्षे क्रम से छहौ लेश्या के स्थानक जा । इहां अंतस्थान विर्ष उत्कृष्टशक्ति की व्युन्छित्ति हई । बहरि धूली रेखा समान क्रोध का अजघन्य शक्तिस्थान, ताके स्थानकनि विष छह लेश्या है एक एक घाटि शुक्ल लेश्या पर्यंत लेश्या पाइए है । सोई कहिए है - धूली रेखा समान क्रोध का प्रथम स्थान से लगाइ, षट्स्थान पतित संक्लेश-हानि को लीएं प्रसंख्यात लोक प्रमाण स्थानकनि विर्षे जघन्य कृष्ण लेश्या, मध्यम नील, कपोत, पीत, पध, शुक्ल लेश्या पाइए हैं; जात इहां छहों लेश्यानि के लक्षण संभव है । इहां अंतस्थान विर्षे कृष्णलेश्या का विच्छेद हुदा । बहुरि इहां से प्रागै इस ही शक्ति का षट्स्थान पतित संक्लेश-हानि लीएं असंख्यात लोक प्रमाण स्थानकनि विर्षे जघन्य नील लेश्या, मध्यम कपोत, पीत, पद्म, शुक्ल लेश्या पाइए है । जाते इहां तिनि पंच लेश्यानि का लक्षण संभव है । इहां अंतस्थानक नि विर्षे नील लेश्या का विच्छेद हुवा ।
बहुरि इहां ते आग षट्स्थान पतित संक्लेश-हानि लीएं असंख्यात लोक प्रमाण स्थानकनि विर्षे जघन्य कपोत लेश्या मध्यम पीत, पद्म, शुक्ल, लेश्या पाइए है; जाते इहां तिनि च्यारि लेश्वानि के लक्षण संभव है । इहां अंतस्थान विष कपोत लेश्या का विच्छेद हुवा । असे संक्लेश, परिणामनि की हानि होते संते जो मंदकषायरूप परिणाम भया, ताकौं विशुद्ध परिणाम कहिए । ताके अनंते अविभाग प्रतिच्छेद हैं; सो तिनकी अनंत भागवृद्धि, असंख्यात भागवृद्धि, संख्यात भागवृद्धि, संख्यात गुणवृद्धि, असंख्यात गुणवृद्धि, अनंतगुण बृद्धि रूप जो वृद्धि, सो षट्स्थान पतित विशुद्धवृद्धि कहिए, सो उस च्यारि लेश्या का स्थान ते पागें षट्स्थान पतित विशुद्धवृद्धि लीएं असंख्यात लोक प्रमाण स्थानकनि विर्षे उत्कृष्ट पीत लेश्या, मध्यम पद, शुक्ल लेश्या पाइए है; जाते इहां तीन तिनि लेश्यानि ही का लक्षण संभव है । इहां अंतस्थानकनि विर्षे पीतलेश्या · का विच्छेद हुवा।
बहुरि इहां से षट्स्थान पतित विशुद्ध वृद्धि लीएं असंख्यात लोक अमारण स्थानकनि विर्षे उत्कृष्ट पद्मलेश्या, मध्यम शुक्ललेश्या ही पाइए है । जातें इहां तिनि दोय ही लेश्यानि के लक्षण संभव है। इहां अंतस्थान विर्षे पालेश्या का विच्छेद हुवा।