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सम्पज्ञानचनिका भावाटीका ] प्रमाण हो है । पांच का भाग देइ, च्यारि करि गुरणे द्वियोगीनि विर्षे काययोगीति का प्रमाण हो है ।
कम्मोरालियमिस्सयोरालद्धासु संधिवअरपंता । कम्मोरालियमिस्सय, ओरालियजोगिणो जीवा ॥२६४॥
कार्मरणौदारिकमिश्नकौरालाद्धासु संचितानंसाः ।
कार्मरणौरालिकमिश्रकौरालिकथोगिनो जीवाः ॥२६४॥
टीका - कार्माण काययोग, औदारिकमिश्र काययोग, औदारिक काययोग 'इनि के कालनि विर्षे संचित कहिए एकठे भएं, जे कार्माण काययोगी, औदारिक मित्र काययोगी, औदारिक काययोगी जीव, ते प्रत्येक जुदे-जुदे अनंतानंत जानने; सोई कहिए है ।
समयत्तयसंखावलिसंखगणावलिसमासहिदरासी । सगगुणगुणिवे थोवो, असंखसंखाहयो कमसो ॥२६५।।
समय त्रयसंख्यावलिसंख्यगरणालिसमासहितराशिम् ।
स्वकमुणगुणिते स्तोकः, असंख्यसंस्थाहतः क्रमशः ॥२६॥ :. टोक - कामण काययोग का काल तीन समय है, जातें विग्रह गति विर्षे अनाहारक तीनि समयनि विर्षे कार्माण काय योग ही संभव है । बहुरि औदारिक मिश्र काययोग का काल संख्यात प्रावली प्रमाण है; जाने अंतर्मुहुर्त प्रमाण अपर्याप्त अवस्था विष औदारिकमिश्र का काल है । बहुरि तातै सख्यातगुणा औदारिक काययोग का काल है; जाते तिनि दोऊ कालनि बिना अवशेष सर्व औदारिक योग का ही काल है; सो इनि सर्व कालनि का जोड दीएं जो समयनि का परिमाण भया, ताक द्विसंयोगी त्रिसंयोगी राशि करि हीन संसारी जीव राशिमात्र एक योगी जीव राशि के परिमाण की भाग दीएं जो एक भाग विष परिमाण आव, तीहि कौं क्लार्माण काल करि गुण, जो परिमारण होइ, तितने कार्माण काययोगी हैं । पर तिस ही एक भाग कौं प्रौदारिक मिश्र काल. करि गुणें, जो परिमाण होइ, तितने प्रौदारिक मिश्र योगी जानने । बहुरि तिस ही एक भाग की औदारिक के काल करि गणे, जो परिमाण होइ, तितने प्रौदारिक काययोगी जानने ।