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कामगिरी
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[ पोपटलार जीवकापड गाथा १२६ काल का एक क्षुद्रभव होइ, तो छत्तीस सौ पिच्यासी अर एक का विभाग प्रमाण उसासनि का कितना क्षुद्रभव होइ? इहां प्रमाण राशि फलराशि १, इच्छाराशि ३६८५.१
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६.
सपा
यथोक्त करते लब्ध राशि छयासठि हजार तीन सौ छत्तीस ( ६६३३६) क्षुद्रभवनि का परिमारण पाया । बहुरि जो छयासठि हजार तीन सौ छत्तीस क्षुद्रभवनि का कालं छत्तीस सौ पिच्यासी अर एक का त्रिभाग इतना उस्वास होइ, तो एक क्षुद्रभवनि . का कितना काल होइ? इहां प्रमाण राशि ६६३३६, फल राशि ३६८५ १, इचछा राशि १, यथोक्त करता लब्ध राशि एक सांस का अठारहवां भाग १ एक क्षुद्रभव का. काल भया १. बहुरि छत्तीस सौ पिच्यासी पर एक का त्रिभाग ३६८५ १ इतना सांस का छयासठि हजार सीन सौ छत्तीस क्षुद्रभव होइ, तो सांस का अठारहवां भाग का कितना क्षुद्रभव होइ ? इहां प्रमाण राशि ६३८५१ ,फल राशि६६३३६, इच्छा राशि एक का अठारहवां भाग १ , यथोक्त करता लब्ध राशि १ क्षुद्रभव हुआ । इहाँ सर्व फल राशि कौं इच्छा राशि करि गुणना, प्रमाण राशि का भाग देना, तब लब्ध राशि प्रमाण हो है । जैसे एक क्षुद्रभव का काल समस्त क्षुद्रभव, समस्त क्षुद्रभव का काल इनिकों क्रम ते प्रमाण राशि करने ते च्यारि प्रकार राशिक किया है । और भी जायगा जहां राशिक का वर्णन होइ, तहां असें ही यथासंभव जानना ।
आमें समुद्घातकेवली के अपर्याप्तपन का संभव कहै हैं -
पज्जतसरीरस्स य, पज्जतुदयस्स कायजोगस्स । जोगिस्स अपुण्णत्तं, अपुण्णजोगोत्ति रिणहिट्ठ ॥१२६॥ पर्याप्तशरोरस्य च, पर्याप्त्युदयस्य काययोपस्य ।
योगिनोऽपूर्णत्वमपूर्णयोगः इति निर्दिष्टम् ॥१२६॥ टोका - संपूर्ण परम प्रौदारिक शरीर जाके पाइए, बहुरि पर्याप्ति नामा नामकर्म का उदय करि संयुक्त, बहुरि काययोग का धारी- असा जो सयोगकेवली भट्टारक, ताके समुद्घात करते कपाट का करिवा विर्षे पर संहार विर्षे अपूर्ण काययोग कहा है । जाते तहां संज्ञी पर्याप्तयत् पर्याप्तिनि का प्रारंभ करि क्रम से निष्ठा
Baatabdi-SATERMewयसर
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