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________________ सर्वविशुद्धज्ञानाधिकार ६१६ मे खुशामिति । २७५. सहर बीमार कुर्मरामायन्यं समन्वज्ञासं कायेन तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ॥२८॥ यदहमकार्ष मनसा च वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।। २६ ।। यदहमचोकरं मनसा च वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ॥३०॥ यस्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासं मनसा च वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ॥३१॥ यदहमकार्ष मनसा च वाचा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ॥३२॥ यदहमचीकर मनसा च वाचा च तन्मिथ्या में दुष्कृतमिति ॥३६॥ यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासं मनसा च वाचा च तन्मिथ्या में दुष्कतमिति ॥३४॥ यदहमकार्ष मनसा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।।३५|| यदहमचोकर मनसा च कायेन च तन्मिथ्या में दुष्कृतमिति ॥३६॥ यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासं मनसा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिनि ॥३७॥ यदहमकार्ष वाचा च कायेन च. तन्मिथ्या में दुष्कृतमिति ॥३८।। यदहमचीकरं वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ॥३६।। याकुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासं वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ॥४०॥ यदहमकार्ष मनसा च तन्मिध्या में दुष्कृतमिति । ४१। यदहमचीकर मनसा च तमिथ्या मे दुष्कृतमिति १४२॥ यत्कुर्वतमप्यन्यं अष्टविध, वेदयमान, कर्मफल, अस्मद्, कृत, यत्, तु, कर्मफल, तत्, तत्, पुनर्, बीज, दुःख, अष्टविध, हुएका अनुमोदन किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥२७॥ जो मैंने कायसे कराया और अन्य करते हुएका अनुमोदन किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । २८ ।। जो मैंने मनसे, वचनसे तथा कायसे किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥ २६ ॥ जो मैंने मनसे, वचनसे व कायसे कराया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ।॥३०॥ जो मैंने मनसे, वचनसे तथा कायसे अन्य करते हुएका अनुमोदन किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ।।३१॥ जो मैंने मनसे तथा वचनसे किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ।।३२।। जो मैंने मनसे तथा वचनसे कराया वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥३३॥ जो मैंने मनसे तथा वचनसे अन्य करते हुएका अनुमोदन किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥३४॥ जो मैंने मनसे तथा कायसे किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥३५॥ जो मैंने मनसे तथा कायसे कराया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥३६॥ जो मैंने मनसे तथा काय से, अन्य करते हुएका अनुमोदन किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥३७॥ जो मैंने वचनसे तथा कायसे किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥३८॥ जो मैंने बचनसे तथा कायसे कराया वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥३॥ जो मैंने वचनसे तथा कायसे अन्य करते हुएका अनुमोदन किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ॥४०॥ जो मैंने मनसे किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ।४१। जो मैंने मनसे कराया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो १४२। जो मैंने मनसे अन्य करते हुएका अनुमोदन किया, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो ।।४३॥ जो मैंने वचनसे किया, वह मेरा
SR No.090405
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherBharat Varshiya Varni Jain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1995
Total Pages723
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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