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________________ ४५२ समयसार रायझि य दोसह्मि य कसायकम्मेमु चेव जे भावा। तेहिं दु परिणामंतो रायाई बंधदि पुणोवि ॥२८॥ रति प्रति कषाय प्रकृति-के होनेपर हि भाव जो होते। उनसे परिणमता यह, रागादिक बांधता फिर भी ॥२८१॥ रागे च द्वेषं च कषायकर्मसु चैव ये भावाः । तस्तु परिणममानो रागादीन् बध्नाति पुनरपि ॥ २८॥ __ यथोक्तं वस्तुस्यभावमजानस्त्वज्ञानी शुद्धस्वभावादासंसारं प्रच्युत एव । ततः कर्मविपाकप्रभ रागद्वेष मोहादिभावः परिणममानोऽज्ञानी रागद्वेषमोहादिभावानां कर्ता भवन् अध्यात एवेति प्रतिनियमः ॥२८॥ नामसंग-सबका बोस. य, कसायकम्म, च, एच, ज, भाव, त. दु, परिणमंत, रायाइ, पुणो, वि। धासुसंज्ञ . बन्ध बन्धने । प्रातिपदिक-राग, च, द्वेष, च, कषायकमन्, च, एव, यत्, भाव, तत्, तु. परिणत ममान, रागादि, पुनस् , अपि । मूलधातु-बन्ध बन्धन । पदविवरण-रायम्हि रागे-सातमी एकवचन । य च एव दु तु पुणो पुन: वि अपि-अव्यय । दोसम्हि दोष-सप्तमी एक० | कसायकम्मेलु कपायकमंसु सप्तमी बहु० । जे ये--प्रथमा बहु० । भावा भावा:-प्र० बहुः । तेहि तै:-तृतीया बहुल । परिणमलो परिण ममान:-प्रथमा एकवचन । रायाई रागादीन्-द्वितीया बहु० | बंधदि बध्नाति-वर्तमान लट् अन्य पुरुष एकवचन क्रिया ॥ २८१॥ तथ्यप्रकाश-१- जो वस्तुस्वभावको नहीं जानता वह अज्ञानी है । २- प्रज्ञानो, शुद्धस्वभावसे च्युत ही रहता है। ३-- शुद्धस्वभावसे च्युत रहने के कारण प्रशानी कर्मविपाका प्रभव रागद्वेष मोहादि भावोंसे निरर्गल परिणमता है । ४- जो रागादिरूपसे परिणमें, अपनेको रागादिरूप करे वह रागादिका कर्ता है । ५- अज्ञानी अपनेको याने रागादिरूप करनेसे कर्मसे बंध जाता है। सिद्धान्स- - जीवके विकारभावका निमित्त पाकर कार्माणवर्गणायें कर्मरूप परि.. णाम जाती हैं । २-- रामादिरूपोंसे परिणमने वाला अज्ञानी है, प्रशानी रागादिरूपोंसे परिण-- मता है। दृष्टि-१- निमित्तदृष्टि (५३)। २- अशुद्धनिश्चयन य (४७)। प्रयोग--विकारविपदासे बनोके लिये शुद्धात्मभावनाका निरन्तर पौरुष करना १॥२८॥ अब पूर्वोक्त गाथाका समर्थन करते हैं:-[रागे च द्वेषे च] राग द्वेष [कर्मसु चव] धीर कषाय कोंके होनेपर [ये भाषा:] जो भाव होते हैं [तस्तु] उनसे [परिणममानः]
SR No.090405
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherBharat Varshiya Varni Jain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1995
Total Pages723
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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