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समयसार
द्योततया नित्यमेत्रांत : प्रकाशमानेनानपायिना स्वतः सिद्धेन परभार्थसता भगवता ज्ञानस्वभावेन सर्वेभ्यो द्रव्यांतरेभ्यः परमार्थतोतिरिक्तमात्मानं संचेतयते स खलु जितेन्द्रियो जिन इत्येका निश्चयस्तुतिः ||३१||
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एक । ते पुं० प्रथमा बहु० । भणति - वर्तमान लट् अन्य पुरुष बहु० । ये - प्रथमा बहु० पुं० | निश्चिता:प्रथमा बहु कर्तृ विशेषण । साधवः - प्रथमा बहु० कर्ता ||३१||
द्रव्येन्द्रिय व भावेन्द्रिय उन तीनोंका जो सहज ज्ञायकस्वरूप जीवके साथ सांकर्य है, सम्बन्ध है उस दोषको दूर किया गया होनेसे ज्ञेयज्ञायकसंकरदोषका परिहार हो जाता है । सिद्धान्त - ( १ ) भूतार्थके आश्रयसे उपाधियोंका परिहार होता है । श्राश्रयसे एकत्वविभक्त श्रन्तस्तत्त्वका प्रकाश होता है ।
(२) शुद्धनयके
दृष्टि - १ - शुद्धभावना शुद्ध किन ( ) २ (४६ ) + प्रयोग - विषयभूत पदार्थ द्रव्येन्द्रिय व भावेन्द्रियके लगावसे हटकर सहजसिद्ध चिन्मात्र अन्तस्तत्त्वरूप अपनेको अनुभवना चाहिये ||३१||
अब भाव्य भावक संकरदोष दूर कर स्तुति कहते हैं-- [ यः तु] जो मुनि [ मोहं] मोह को [जिल्वा ] जीतकर [ श्रात्मानं ] अपने आत्माको [ज्ञानस्वभावाधिकं ] ज्ञानस्वभावके द्वारा अन्य द्रव्यभावोंसे अधिक [ जानाति ] जानता है [ तं साधु] उस मुनिको [ परमार्थविज्ञायकाः ] परमार्थके जानने वाले [जितमोहं] जितमोह ऐसा [विदन्ति ] जानते हैं ।
तात्पर्य - जो सहजज्ञानस्वभावमय श्रात्माको अनुभव कर मोहको जीत लेते हैं वे जितमोह कहलाते हैं ।
टीकार्थ -- जो मुनि फल देनेकी सामर्थ्यं प्रकट उदयरूप होकर भावकरूपसे प्रगट हुए भी मोहकर्मको तदनुकूल परिणत श्रात्मा भाव्यके व्यावर्तन से तिरस्कार करके ( पृथक् करके) जिसमें समस्त भाव्यभावक संकरदोष दूर हो गया है, उसके रूपसे एकत्व होनेपर interfaत् निश्चल, समस्त लोकके ऊपर तैरता प्रत्यक्ष उद्योतरूपसे नित्य ही अन्तरंग में प्रकाशमान, अविनाशी और आपसे ही सिद्ध हुआ परमार्थरूप भगवान् ऐसा वह ज्ञानस्वभाव, उसके द्वारा अन्य द्रव्य के स्वभावसे होने वाले सत्र हो अन्य भावोंसे परमार्थतः अतिरिक्त ऐसे ज्ञानस्वरूप आत्माको अनुभव करता है वह निश्चयतः जितमोह जिन है । इस प्रकार यह द्वितीय निश्चयस्तुति हुई । इस ही प्रकार मोहके पदको बदलकर उसकी जगह राग, द्वेष, क्रोध, मान, माया, लोभ, कर्म, नौकर्म, मन, वचन, काय-- ये ग्यारह तो इस सूत्र द्वारा और श्रोत्र, चक्षु, घ्राण, रसना, स्पर्शन - ये पांच इन्द्रियसूत्र द्वारा ऐसे सोलह पद पलटने से सोलह