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________________ - - - - .. . समापितंत्र और न दूसरों के किये हुए अथवा स्वयं बन आए हुए उपसगोपर दुःख ही मानते हैं. ऐसी घटनाओं के घटनेपर वे बराबर अपने साम्यभावको स्थिर रखते हैं ॥१०॥ नन्दात्मना मरणल्पविनाशदत्त रकालमभावसिडेः कयं सर्वक्षाऽस्तित्वं सिध्ये दिति वदन्तं प्रत्याह स्वप्ने वृष्टे विनष्टेऽपि न नाशोऽस्ति यथात्मनः । तथा जागरदृष्टोऽपि विपर्यासाविशेषतः ॥१०१॥ टीका—स्पने स्वप्नावस्थामां दृष्टे विनष्टेप शरीरादो आस्मनो पचा नाशो नास्ति सथा जागरवृष्टोऽपि जागरं जाग्रदयस्थायां दृष्टे विनष्टेऽपि शरीरावी आत्मनो नाशो नास्ति । ननु स्वप्नावस्थायां प्रांतिवशावात्मनो विनाशः प्रतिभातीति चेत्तदेतदन्यत्रापि समानं । न खलु शरीरविनाशे मात्मनो विमाधमत्रांतो मन्यते । तस्मादुभयत्राप्यात्मनो विनाशोऽनुपपन्नो विपर्यासाविशेषात् । पर्थव हि स्वप्नावस्थायामविद्यमानेऽप्यात्मनो विनाशे विनाशः प्रतिभासत इति विपर्यासः तथा जानववस्थायामपि ॥ १.१ ॥ यदि कोई कहे कि मरणस्वरूप विनाशके समुपस्थित होनेपर उत्तर कालमें आत्माका सदा अस्तित्व कैसे बन सकता है ? ऐसा कहने वालोके प्रति आचार्य कहते हैं अम्बया स्वप्ने ) स्वप्नको अवस्थामें ( दृष्टे विनष्टे अपि) प्रत्यक्ष देखे जानेवाले शरीरादिक विनाश होनेपर भी ( यथा ) जिस प्रकार ( आत्मनः ) आत्माका ( नाशः न अस्ति ) नाश नहीं होता है (तया) उसी प्रकार ( जागरदृष्टे अपि ) जाप्रत अवस्थामें भी दृष्ट शरीरादिकका विनाश होने पर आस्माका नाश नहीं होता है. । ( विपर्यासाविशेषतः) क्योंकि दोनों ही अवस्थाओंमें जो विपरीत प्रतिभास होता है उसमें परस्पर कोई भेद नहीं है। ___ भावार्थ-आल्मा वास्तवमें सत् पदार्य है और सत्का कभी नाश नहीं होता-पर्यायें जहर पलटा करती हैं । स्वप्नमें शरीरका नाश होनेपर जिस प्रकार आत्माके नाशका भ्रम हो जाता है किन्तु आस्माका नाश नहीं होता उसी प्रकार जाग्रत अवस्या भी शरीर पर्यायके विनाशसे जो आत्माका विनाश समान लिया जाता है वह भ्रम ही है-दोनों ही अवस्थाओं में होने वाले श्रम समान है---एकको भ्रम मानना और दूसरेको भ्रम माननेसे इनकार करना ठीक नहीं है । वस्तुतः झोंपड़ीके जलने पर
SR No.090404
Book TitleSamadhitantram
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages105
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size2 MB
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