SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रत्नमाला दस्तक. - 127 गु. २00 वर्षायोग की समाप्ति में सिध्द, आचार्य, शांतिभक्ति आचार्यपद ग्रहण करते समय सिध्द, योगि, शांतिभक्ति प्रतिमायोग धारण करने वाले मुनि की तंदना करते समय बृहत्सिदभक्ति, योगिभक्ति दीक्षा ग्रहण करते समय सिद्धभक्ति दीक्षा के अन्त में लघु सिध्दभक्ति, लघु योगिभक्ति केशलोंच करते समय सिध्दभक्ति लोंच के अन्त में सिद्ध, प्रतिक्रमण. वीरभक्ति, चतुर्विशतितीर्थकरभक्ति प्रतिक्रमण में योगिभक्ति रात्रियोग धारण योगिभक्ति रात्रियोग का त्याग समाधिभक्ति देववंदना में दोष लगने पर सिध्द, योगि, शांतिभक्ति सामान्य ऋषि के स्वर्गवास होनेपर उनके शरीर और निषद्या की क्रिया में सिध्द. श्रुत. योगि, शांतिभक्ति सिध्दांतवेत्ता साधु के स्वर्गवास में सिध्द, चारित्र, योगि. शांतिभक्ति उत्तर गुणधारी सिध्दांत वेत्ता साधु के स्वर्गवास पर सुविधि शाम पत्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद.
SR No.090399
Book TitleRatnamala
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
AuthorSuvidhimati Mata, Suyogmati Mata
PublisherBharatkumar Indarchand Papdiwal
Publication Year
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy