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________________ SHAr:. 100 रत्लमाला 55. - 126 14 सिद्ध, श्रुत, चारित्र, योगि , निर्वाण और शांति-भक्ति ज्ञानकल्याणक निर्वाणकल्याणक सिद्ध, श्रुत, चारित्र, योगि, निर्वाण और शांति भक्ति । वीरनिर्वाण-सूर्योदय के समय सिद्धभक्ति, निर्वाग, पंचगुरु, शांतिभक्ति । श्रुतपंचमी वृहत्सिद्धभक्ति, बृहतश्रुतभक्ति श्रुतस्कंथ की स्थापना, बृहत् वाचना, बृहत श्रुत भक्ति, आचार्य भक्ति पूर्वक स्वाध्याय श्रुत भक्ति द्वारा स्वाध्याय की पूर्णता अंत में शांति भक्ति कर क्रिया की पूर्णता ! सिद्ध, श्रुत, शांतिभक्ति । श्रुतपंचमी के दिन गृहस्थों को सिद्धांत वाचना सिद्धश्रुतभक्ति द्वारा प्रारंभ श्रुतभक्ति आचार्यभक्ति कर वाचना अंत में श्रुत और शांति भक्ति। सिद्ध, शुत, शान्तिभक्ति गृहस्थों को संन्यास के प्रारंभ में सिद्ध, श्रुत, शान्तिभक्ति गृहस्थों को संन्यास के अन्त में सिद्ध. योगि, चैत्यभक्ति । वर्षायोग धारण करते समय वर्षायोग धारण की प्रदक्षिणा में यावंति जिनचैत्यानि, स्वयंभूस्तोत्र की || स्तुति चैत्यभक्ति वर्षायोग स्वीकार करते समय गुरुभक्ति, शांतिभक्ति वर्षायोग धारण करने की पूर्व विधि सुविधि ज्ञान चन्द्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद.
SR No.090399
Book TitleRatnamala
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
AuthorSuvidhimati Mata, Suyogmati Mata
PublisherBharatkumar Indarchand Papdiwal
Publication Year
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
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