SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काव्य एवं चरित्र ] [ ६६ - ४८७. जम्बूस्वामीचरित्र पांडे जिनदास पत्र संख्या - ३० | साइज - १०३६ रुच | भाषा-हिन्दी ( प ) | विषय -दरित्र । रचना काल सं० १६४२ भादवा बुदी ४ । लेखन काल -X | पूर्णं । वेष्टन नं ० ५८० | विशेष-यकबर के शासनकाल में रचना की गई थी। दो तरह की लिपि हैं । ४८. जिनदत्तचरित्र - गुणभद्राचार्य । पत्र संख्या ४८ | साइज - १०३४ ३ ६म्ब | भाषा–संस्कृत । विषय - चरित्र । रचना काल -X | लेखन काल - सं० १८२५ | पूर्ण । वेष्टन नं० २२० | विशेष - पं० नगराज ने प्रतिलिपि की थी । २ प्रतियां और हैं। ४८६. जिण्यत्तचरित (जिनदत्तचरित्र ) - पं० लाखू | पत्र संख्या - १०० | साइज - ११३४५६ इश्च । साषा-अपभ्र ंश । त्रिषय-चरित्र | चना काल - सं० १२७५ | लेखन काल - सं० १६०६ मंगसिर सुदौ ५ । पूर्णं | वेष्टन नं० २२१ । विशेष – सं० १६०६ मंगसिर सुदी ५ श्रादित्यवार को रणथंभौर महादुर्ग में शान्तिनाथ जिन चैत्यालय में सलेमशाह आलम के शासन के अर्न्तगत खिदिरखान के राज्य में पाटनी गोत्र वाले साह श्री दूलहा ने प्रतिलिपि करवाकर वाचार्य ललित कीर्ति को भेंट की भी । ४६०. खायकुमारुचरिए ( नागकुमारचरित्र ) - महाकवि पुष्पदन्त । पत्र संख्या - ६६ | साइज - भाषा-अपभ्रंश | विषय - काव्य रचना काल - ४ । लेखन काल-सं० १५१७ बैसाख सु५ पूर्ण =३x४ बेष्टन नं० २१२ । प्रशस्ति निम्न प्रकार है ० १५१७ वर्षे बसाख सुदी ५ श्री मूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे मट्टारक श्री पद्मनंदिदेवा तत्पट्ट भट्टारक श्री शुभचन्द्र देवा तत्पालंकार महारक श्री जिनचन्द्र देवा । शिक्षणी बाई मानी निमित्ते नागकुमार पंचमी कथा लिखाप्य कर्मक्षय निमित्ते प्रदत्त । ४६१ प्रति नं० २ । पत्र संख्या-६० | साइज - १०३५ ४ | लेखन काल - सं० १५२८ श्रावण बुधी । पूर्ण । वेष्टन नं० २३४ | प्रशस्ति — संवत् १५२८ वर्षे श्रावण बुदि १ दुवे श्रवणनक्षत्रे सुभनामायोगे श्री नयनत्राह पचने सुरवात बलाबदोनराज्यमवत माने श्री मूलसंबे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये मट्टारक श्री पद्मनन्दि देवा तत्पट्टे म० श्री शुभचन्द्र देवा तत्पट्ट भट्टारक जिनचन्द्रदेवा तत् शिष्य जैनन्दिश्राम कर्म तथार्थं निमित्ते इदं वायकुमार पंचमी लिखापितं । खंडेलवाल बंशोत्पन्न पहाड्या गोत्र वाले भरजन मार्या केलूई ने प्रतिलिपि कराई । ४६२. द्विसंधानकाव्य सटीक - मूलकर्त्ता - धनंजय, टीकाकार नेमिचन्द्र । पत्र संख्या - १६६ ॥ साइज - १४४६३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । रचना काल -X | लेखन काल -X | पूर्ण । वेष्टन नं० १४ ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy