________________
[ काव्य एवं परित्र
विशेष-१२३ से श्रामे के पत्र नहीं है। प्रति नवीन है । ग्रन्म की पुष्पिका निम्न प्रकार हैं।
इति मंडलसूरिश्रीभूषण तत्प? गच्छे मट्टारक श्री धर्मचन्द्र शिष्ण कवि दामोदर विरचिते श्री चन्द्रप्रभ चरित्र . चन्ह भकेट लमानोत्पति इनो नाम ट्राबिंशतितमः सर्गः ।
४८३ चन्द्रप्रभचरित्र-बीरनंदि । पत्र संख्या-११२ । साज--१९४५ म्छ । माषा-संस्कृत | विषयकाव्य । रचना काल-X I लेखन काल-सं. १८६६ माघ बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन नं० २० ।
विशेष –फतेहलाल साह ने प्रतिलिपि कराई थी। काव्य की १ प्रति और है ।
४८४. चेतनकर्मचरित्र-भैया भगवतोदास । पत्र संख्या-१५ । साइज-१०४५, इंच । माषाहिन्दो (पच) | विषय-चरित्र | रचना काल-सं. १७३२ ज्येष्ठ बुदौ ७ । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं० ३.. ।
विशेष-प्रन्थ को ३ प्रतियां थौर है ।
४८५. जम्बूस्वामीररित्र-महाकवि वीर । पत्र संख्या--११४ | साइज-१२४४३ छ । भाषाअपभ्रंश | विषय-काव्य । रचना काल-सं. १०७६ माह मुबी १० । लेखन काल-२० १६.१ असाढ सुदी १३ 1 पूर्ण । वेष्टन न० २२० ।
विशेष—प्रन्धकार एवं लेखक प्रशस्ति दोनों पूर्ण है । राजाधिराज श्री रामचन्द्रजी के शासनकाल में रोसागर में । श्रादिनाब चैत्यालय में लिपि की गई थी।
खंडेलवाल वंशोत्पान साह गोत्र वाले सा. हेमा मार्य हमीर दे ने प्रतिलिपि करवाकर मंडलाचार्य धर्मचन्द्र को प्रदान की भी 1 लेखक प्रशस्ति निम्न है।
संवत् १६०१ वर्षे अाषाद सुदी १३ मोपवासरे टोडागढवास्तव्ये राजाधिराजरावनीरामचन्द्रविजयराज्ये श्री आदिनापत्यालये थी मूलस घे नंद्याम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छ कुन्दकुन्दाचार्यान्वये मट्टारक श्री पद्मनन्दि देवास्तपट्टे म. शुमचन्द्रदेवा: तत्पष्ट मा श्री जिनचन्द्र देवास्तत्पट्ट म० प्रभाचन्द्रदेवास्तव शिष्य मंडल श्री धर्मचन्द्रदेवाः तदानाये खंडेलवालान्वये साह गोत्र जिनपूजापुरन्दरान गुणश्रेयोनृपतिः साह महसा तद् भार्या मूहागर्दै तत्पुत्र साह मेधचन्द्र द्वि० कौनू । साह मेघचम्द्र मार्या मारायदे द्वितीय नवलाद । तत्पुत्र साह हेमा द्वि• साह हीरा तृतीय साह छाजू । साह हेमा मार्या हमीर दे तत्पुत्र चि० भीखा । साह होरा मार्या हीरादे । साह कौन मार्या कौतुकर्दे तत्पुत्र साह पदारय द्वि० सोना । सा. पदारय मार्या पारमदे तत्मत्र सा. धनपाल । साह खीवा भार्या खिसिरी तत्पुष हूगरसौ एतेषा मध्ये सा. हेमा भार्या हमीर दै एतत् बन्यूस्वामीचरित्र लिखाप्य रौहिणीबत उद्योतनाथ मंडलाचार्या श्री धर्मचन्द्राय प्रस।
४८६. जम्बूस्वामीचरित्र-३० जिनदास । पत्र संख्या- ३१ । साज-११६x४३ च । भाषासंस्कृत ! विषय-चरित्र । रचना काल-x | लेखन काल-X । पूर्ण 1 वेहन नं० २२० ।
विशेष-प्रशस्ति अपूर्ण है । एक प्रति और है ।