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[पूजा एवं प्रतिष्ठादि अन्य विधान विशेष- अन्तिम पत्र नहीं है । २ प्रतियां और हैं ।
३४८, चतुर्विंशतिजिनपूजा-रामचन्द्र । पत्र संख्या-६६ । साइज-११४६३ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । रचना काल-४ । लेखन काल-x | पूर्ण । वेष्टन नं ४२० ।
विशेष-तीन प्रतियां और हैं।
३४६. चतुर्विंशतितीर्थकरपूजा.............'| पत्र संख्या-४५ । साइज-१.६४ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचना काल-x | लेखन काल-४ । पूर्ण । वेष्टन नं ३३८ ।
३५०. धन्दनषष्ठीत्रतपूजा............"। पत्र संख्या--४ । साइज-१.४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय- पूजा | रचना काल-x | लेखन काल--- | पूर्ण ! वेष्टन मं० २४७ ।
३५१. चतुर्विधसिद्ध चक्रपूजा- भानुकीचि । पत्र संख्या ११६ । साइज-७६x६३ इंश । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । रचना काल-X । लेखन काल-सं० १६३० । पूर्ण 1 वेष्टन मं० १२ ।
विशेष--वृहद पूजा है । मन्थकार तथा लेखक दोनों की प्रशस्ति हैं ।
म. भानुकौति ने साधु तिहुणपाल के निमित्त पूजा की रचना की भी । साधु तिहुणपाल ने ही इस पूजा की। प्रतिलिपि कावायी थी।
३५२. चारित्रशुद्धिविधान-भ० शुभचन्द्र । पत्र संख्या-६४ । साइज ११xk | भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान । रचना काल-x। लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं. २६२ ।
विशेष–१२३४ नतों का विधान' यह मी इस रचना का नाम है ।
३५३. प्रति नं० २१ पत्र संख्या--२ से ३५ । साइज १०x४६ च । लेखन काल-सं० १५८४ कार्तिक बुदी ८ । अपूर्ण । वेष्टन न. ५१० ।
विशेष-प्रथम पत्र नहीं है । जाप्य दिये हुए हैं ।
प्रशस्ति-संवत् १९८४ वर्षे कार्तिक बुद्धी अष्टमी वृहस्पतिवारे लिखितं ५० गोपाल शर्मक्षयार्भ पात्री (सी) खुखिकावाई सोना पड़ा इदं इत्त श्री पार्श्वनाथ चैत्यालये दुबलाणापत्तने ।
३५४. चौबीसतोयंकरजयमान-पत्र संख्या--- | साज-१३४५ । भाषा-हिन्दी। विक्य-पूजा । । रचना काल-~। लेखन काल-सं० १९५७ बैसाख सुदी १४ १ पूर्ण । वेष्टन ने. ११४६ ।
३५५. चौसठऋद्धिपूजा-स्वरुपचन्द । पत्र संख्या-३३ । साइम-१२४८ इम। माषा-हिन्दी। विषय-पूजा । रचना काल--सं० १६१० श्रावण सुदी ७ ३ लेखन काल- १९६६ । पूर्ण । बेपन नं ० ४१२ ।
विशेष -१ प्रतियां और हैं ।