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भाषा
विशेष
हिन्दी
२५ पध
गुटके एवं संग्रह ग्रन्थ ] विषय-सूची
कर्ता का नाम (१) संघ पच्चीसी
चौबीस तीकरों के संघों के माधुओं यादि की संख्या का वर्णन है। (२) नाईस परीषह वर्णन (३) मांगीतुगी स्तवन यभयचन्द पूरि (४) सामायिक पाठ (6) भक्तामर स्तोत्र भाषा
हेमराज (६) एकीभाव स्तोत्र भाषा (७) नेमजी का व्याह लो
लालचंद (नव मंगल) विशेष-अलग २ नो मंगल हैं । अन्तिम पाठ निम्न प्रकार है:--- एरी इह संवत सुनहु रसालारी हां,
एरी सतर से अधिक चवालारी हाँ । एरी भानु मुदि तीज उजारी री हो,
परी तो कह दिन गीत सुधारी रोहा छ ।
रचन। काल सं० १५४०
भादवा सुदी ३
इह गीत मंगल नेम जिनका, साहजादपुर में गाया। प्रश्रवाल गरग गोी अनक चूर कहाईया ।। पातिसाह बँठाठिक या च्योरा चक वैन बाईया ।
नौरंगस्थाह वली के वार लाल मंगल गाइया । () चरचा संग्रह
विभिन्न चर्चाओं का संग्रह है। {) परमात्मा बत्तीसी
भगवतीदास
" रचना काल संवत् १७५० पद संग्रह
ब्रह्म टोडर, विजयकीति, विश्वभूषण, नवलराम, जगतराम, पानतराय, खुशालचंद, मनककीर्ति, लालविनोद. प्रादि कवियों के हिन्दी पदों का संग्रह है।
(१०) पंचपरमेटी चरचा (११) भक्तामर स्तोत्र भाषा -
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६२६. गुटका नं० १२५-पत्र संख्या-२ से ३३९ साइज-tx६ इन्च | भाषा-हिन्दी । लेखन कालसं० १७१२ ज्येष्ठ पुदी २ | अपूर्ण ।