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________________ गुटके गवं संग्रह मन्थ ) [२८ ५EC. गुटका नं०६७-पत्र संख्या-२७१ । साइज-४४ इन्च | भाषा-हिन्दी लेखन काल-x! अपूर्ण एवं जीर्ण । विशेष -२ गुटकों का सम्मिश्रा है । मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। विषय-सूची की का नाम (१) शालिभद्र चौपई जिनराज यूरि हिन्दी भाषा विशेष १० का० सं० १६७ यासोज बुदी ६ प्रारम्भ-सासण नापक समरियई, वडूमान जिनचंद । अभित्र विधन दुरई हरह, आपा परमानंद ||२|| अन्तिम पाठ-साधु चरित कहवा मन तरसर, तिणए मास्यउ हरसहजी । सोलह सय ठित्तरि वरसइ, बासू षदि छठि दिवसाजी ॥ सा: जिनसिंह सूरि मतिसार भबियण नद उपगारद जी । श्री जिनराज वचन अनुसारइ, चरित कचद रु बिचारहजी || इणि परिसायु तणा गृण गावा, जे भत्रियण मन भावइजी । अलिप विधन तस दुरि पुलावइ मन बंछित सुख पावजी ॥१०॥ ॥ संबंध मधिक जे भणिस्थइ, एक मना सांभलिस्वरजी । दुख दुह गतस दृरि गयावस्यर, मनि पंछित फल सहिस्सह जी ॥११॥ (२) शीतलनाथ स्तवन धनराजजी के शिन्य हरखचंद हिन्दी ( ३ ) पार्श्व स्तोत्र २० का० सं.१७ कार्तिक मुदी र कासं कार्तिक सुदी। १० का सं० १७१३ २० का.सं. १७५८ २० का.स.१७४ धनराज ( ४ ) नेमिनाय स्तोत्र * ) पदसंग्रह (६) नेमिनाथ स्तवन (७) चिन्तामणि जन्मोत्पत्ति जन्मोत्सव स्वध्याय (८) गणनायक खेमकरण जन्मो:पत्ति धर्म सिंह पूरि २० का.सं. १ माघ सुदी १.का.सं. १७६६ (E) पुण्यसार कथा (पुण्यकीर्ति) माम्म-नाभि राय नंदन नमु', मांति नेमि जिन पाशि । महावीर उनीसमर्ड प्रयम्बा पुरह श्रास ||
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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