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गुटके गवं संग्रह मन्थ )
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५EC. गुटका नं०६७-पत्र संख्या-२७१ । साइज-४४ इन्च | भाषा-हिन्दी लेखन काल-x! अपूर्ण एवं जीर्ण ।
विशेष -२ गुटकों का सम्मिश्रा है । मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है।
विषय-सूची की का नाम (१) शालिभद्र चौपई जिनराज यूरि
हिन्दी
भाषा
विशेष १० का० सं० १६७
यासोज बुदी ६
प्रारम्भ-सासण नापक समरियई, वडूमान जिनचंद ।
अभित्र विधन दुरई हरह, आपा परमानंद ||२|| अन्तिम पाठ-साधु चरित कहवा मन तरसर, तिणए मास्यउ हरसहजी ।
सोलह सय ठित्तरि वरसइ, बासू षदि छठि दिवसाजी ॥ सा: जिनसिंह सूरि मतिसार भबियण नद उपगारद जी । श्री जिनराज वचन अनुसारइ, चरित कचद रु बिचारहजी || इणि परिसायु तणा गृण गावा, जे भत्रियण मन भावइजी । अलिप विधन तस दुरि पुलावइ मन बंछित सुख पावजी ॥१०॥ ॥ संबंध मधिक जे भणिस्थइ, एक मना सांभलिस्वरजी । दुख दुह गतस दृरि गयावस्यर, मनि पंछित फल सहिस्सह जी ॥११॥
(२) शीतलनाथ स्तवन
धनराजजी के शिन्य हरखचंद
हिन्दी
( ३ ) पार्श्व स्तोत्र
२० का० सं.१७
कार्तिक मुदी र कासं
कार्तिक सुदी। १० का सं० १७१३ २० का.सं. १७५८ २० का.स.१७४
धनराज
( ४ ) नेमिनाय स्तोत्र
* ) पदसंग्रह (६) नेमिनाथ स्तवन (७) चिन्तामणि जन्मोत्पत्ति
जन्मोत्सव स्वध्याय (८) गणनायक खेमकरण जन्मो:पत्ति धर्म सिंह पूरि
२० का.सं. १
माघ सुदी १.का.सं. १७६६
(E) पुण्यसार कथा
(पुण्यकीर्ति) माम्म-नाभि राय नंदन नमु', मांति नेमि जिन पाशि ।
महावीर उनीसमर्ड प्रयम्बा पुरह श्रास ||