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________________ २८४] [गुट के एवं संग्रह प्रन्य माला नाम-मालाकज गुणवती यह हनान की दाम । जो नर कंठ कर सुनै है है छवि को दाम ॥२ ॥ इति श्री मारमंजरी नंददारा कृत संपूर्ण । संचन १८७३ मंगसिर वुदी १३ दोतवार । ५७६. गुटका नं०७५.--पत्र संख्या-६० : साइज-६x४५ च । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-x| पूरी। अशुद्ध । विशेष - साधु कवि की रचनायों का संग्रह है । चरणदास को गुरू के रूप में कितने ही स्थानों पर स्म३० किया है। कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है । प्रति अशुद्ध है । ५७७. गुटका नं०७६-पत्र संख्या-२४ से १८ साइज-४३१ञ्च | भाषा-हिन्दी लेखन काल-XI अपूर्ण विशेष-विविध पाठों का संग्रह है। १७८. गुटका नं०७७ - पत्र संख्या-६३ । ।ज-६४६ इञ्च । माषा-हिन्दी संस्कृत । लेखन काल-x पूर्ण। विशेष-निम्न पाओं का संग्रह है। ५स अलेरा, मुनि श्रहार लेता के पाच प्ररथ, मनुष्य राशि भेद, मुमेरु गिरि प्रमाण, जम्बू दीपका वर्णन, शील प्रमाद के भेद, जीन का भेद, अदाई द्वीप में मनुष्य राशि, अप्ट कर्म प्रकृति, विवाह विधि आदि । ५७६. गुटका नं०७९---पत्र संख्या-१८ से २०४ । साइज--४४४ ६४ : भाषा-हिन्दी 1 विषयसंग्रह । लेखन काल-सं० १७.४ फागुण बुदी ६ | अपूर्ण । (१) श्री धू चरित-हिन्दी । लेखन काल- ० १७१६ कामुग्ण बुदी । श्रन्तिम पाठ-राजा प्रजा पुत्र समाना, संकट दुखीनदीसे अांना । राजनीति राजा जु दोचार, स्वामी धरम प्रजापति पाने । चक्र दरशन रझ्या करई, भाग्य मंग करस सिर हरई । तात सबको श्राग्या कारी, चक्र सुदर्शन को डर मारी || असी विधि करें धृ राज, हरि क्रिया सरै मन काजू । घर में बन, वन में घर माई, अंतर नाही राम दहाई ।।३।। पानी तेल गिल पुनि न्यारौ, यो धू वरतो राम पीयारी । परवनि पत्र मिले नहीं पानी, येहि विधि परत दास की रानी ॥६॥ उली मौल चले जल माही, यो हरि मगत मिलन हरि जाहि ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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