SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 310
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुट के एवं संग्रह प्रन्थ ] विशेष-गुटके में नंदराम पीसी दी है । रचना सं० १७४४ अथ नंदराम पच्चीसी लिस्बते । [ २८१ दोहा-नपति को ज मनाय हरि, रितु सिद्ध के हेतु 1 बाद वादनी मात तु, सम अछिर बहु देत ॥ कछु कल्यो हु चाहत इ, तुम्हार पुनि प्रताप | ताहि सरया एख उपजे, दया को अब पाप ।। २ ।। अन्तिम प द खंडेसात अंगावति को नासी । मुत बलिराम गोत हैं रावत मत हैं कृष्ण उपासी ।। २.४ || संवत् सतरासै चबाला कातिक चन्द्र प्रकासा । भदराम कछु.. ... ... ... ............... । कली व्योहार पचीसी वरनी जथा जोग मति तेगी । कलजुग की ज बानगी एहै हैं और रासी बहुतेरी ।। राखे राम नाम या कलि मैं नंद दासा । नंदराम तुम सरने धागो गायो अजब तमासा || २ || इति श्री नंदराम पच्चीसी संपूर्ण | संवत् १३५२ चैन बुद्ध १२ । ५७३. गुटका नं०७२-पत्र संख्या-१६। सास-६x४ हव। भाषा-हिन्दी लेखन काल-x। अपूर्ण । विशेष- हिन्दी के वित्त है। ५७४. गुटका नं. ४३ पत्र संख्या-११-०१३ ॥ साइज-ix बाल-x यपूर्ण । दम । भाषा-हि-दी। लेखन विशेष--श्य रूप से निम्न पाठ हैं कर्ता का नाम माषा विशेष ले.का. सं. १८२५ हिन्दी भाधरायमत चतुजदास सनारसौदास विषय-सूची श्रीपाल राम मधु मालती कथा गोसन बचन बय लक्षण शिव पचीसी भवसिन्धु चनुर्दशी बानपच्चीसी
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy