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गुट के एवं संग्रह प्रन्थ ]
विशेष-गुटके में नंदराम पीसी दी है । रचना सं० १७४४ अथ नंदराम पच्चीसी लिस्बते ।
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दोहा-नपति को ज मनाय हरि, रितु सिद्ध के हेतु 1
बाद वादनी मात तु, सम अछिर बहु देत ॥ कछु कल्यो हु चाहत इ, तुम्हार पुनि प्रताप |
ताहि सरया एख उपजे, दया को अब पाप ।। २ ।। अन्तिम प द खंडेसात अंगावति को नासी ।
मुत बलिराम गोत हैं रावत मत हैं कृष्ण उपासी ।। २.४ || संवत् सतरासै चबाला कातिक चन्द्र प्रकासा । भदराम कछु.. ... ... ... ............... । कली व्योहार पचीसी वरनी जथा जोग मति तेगी । कलजुग की ज बानगी एहै हैं और रासी बहुतेरी ।। राखे राम नाम या कलि मैं नंद दासा ।
नंदराम तुम सरने धागो गायो अजब तमासा || २ || इति श्री नंदराम पच्चीसी संपूर्ण | संवत् १३५२ चैन बुद्ध १२ ।
५७३. गुटका नं०७२-पत्र संख्या-१६। सास-६x४ हव। भाषा-हिन्दी लेखन काल-x।
अपूर्ण ।
विशेष- हिन्दी के वित्त है।
५७४. गुटका नं. ४३ पत्र संख्या-११-०१३ ॥ साइज-ix बाल-x यपूर्ण ।
दम । भाषा-हि-दी। लेखन
विशेष--श्य रूप से निम्न पाठ हैं
कर्ता का नाम
माषा
विशेष ले.का. सं. १८२५
हिन्दी
भाधरायमत चतुजदास सनारसौदास
विषय-सूची श्रीपाल राम मधु मालती कथा गोसन बचन बय लक्षण शिव पचीसी भवसिन्धु चनुर्दशी बानपच्चीसी