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गुटके एवं संग्रह अन्य ]
[ २६३ सांस नाय सव गाय हो राधी मनि इह रीति ।
राकल देव की सेवको फल हरि पद सौ प्रीति ॥४॥ अन्तिम पाठ-निस दिन चि पचि मात साठ सबको र उनमान ।
सकल जानि मन जानि मन राधा मजो मनवान ॥१५६॥ मजनि मजै तिन तें भजे पाप ताप दुख दानि । भागवत भगत जन म्यान बंत सो जानि || १५७।। रूव सुख जत सुदर सुमत सप्तरास गुनचास । कीयो माघ सुदि पंचमी सार प्रसंग प्रकास ||१५८॥ रंग रंग व अंग के बग्ने विधि प्रसंग 1 सुनै गुनै एख में सनै अति रति है सतसंग ॥ १५ ॥ अंग उधारत गंग ज्यों मलिन कर्म करि मंग। उक्ति लूक्ति हरि भक्ति है समझ सार प्रसंग ॥ १.६० ॥
॥ इति श्री रघुनाथ साह कृत प्रसंगसार संपूर्ण ॥ विशेष:--रचना सुभाषित, उपदेशात्मक एवं भक्ति रसात्मक है ।
५०. गुटका नं. ५–पत्र संख्या ४० साइ-में--(४५ इञ्च | भाषा- संस्कृत हिन्दी । लेखन काल-x। पूर्ण ।
विशेष-केवल नित्य नियम पूजा पाठ हैं ।
५०६. गुटका नं० ६.-पत्र संख्या--२५ । साइज-- इश्च । भाषा-हिन्दी लेखन काला-सं० १९६३ भादवा बुदी १० । पूर्ण ।
विशेष-बारह भावना, इष्ट बत्तीसी माषा, भक्तामर माषा, निर्वाण काडमाषा एवं समाधिमरण बादि पाठों का संग्रह है।
५६. गुटका नं.७–पत्र संख्या-४ , साइज-=3x६ इश्व । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-सं. १-३६ मंगसिर सदी पूर्ण।
विशेष- रामचन्द कृत नौबीस ती करों की पूजा है । ५१०. गुटका नं०५-पत्र संख्या २३ । सारज-EX६ इन | भाषा-हिन्दी । लेखन काल-X । पूर्ण । (१) बैराट पुराग-प्रभ्र कवि । प्रारम्भ के पत्र नहीं है । विशेष-प्रभु कनि चरणदासी संप्रदाय के है ।