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________________ २३४ ] [ लोक विज्ञान ३७२. मदन पराजय-जिनदेय । पत्र संख्या-१० | साइज-१११४५ श्श्व | भाषा-संस्कृत । विषयनाटक ! रचनाकाल--X । लेखन काल-x | पूर्ण ! बेष्टन नं. २४० । ---- corecame- -. विषय-लोकविज्ञान ३७१, बिज्ञप्ति - निवृपम गः-२-: : मान-१२३४५३ च । भाषा-प्राश्त । त्रिषय-लोक त्रिज्ञान । रचना काल-- । लेखन काल--सं० १८३१ । पूर्ण । वेष्टन नं० २४ । ३७२. प्रति नं० २१ पत्र संख्या-२.८ । साइज-१२४६ ३२ । लेखन काल-X । अपूर्ण । वेष्टन नं. १३२॥ विशेष-~-अन्य के साथ जो लकड़ी का पुट्ठा है उस पर चौंवीस तीषकरों के चित्र हैं । पुछा सुन्दर तथा सुनहरो हैं । ३७३. त्रिलोकसार-नेमिचंद्राचार्य । पत्र संख्या-२६ । साइज-x४३ इन्न । भाषा-प्रास्त । विषय-लोक विप्नान । रचना काल-x | लेखनकाल–सं. १७६६ वैशाख बुदी ४ ! पूर्ण । वेष्टन नं० २० । विशेष-नरसिंह अग्रवाल ने प्रतिलिपि की थी। ३७४. भैलोक्यसार चौपई-सुमतिकीर्ति । पत्र संख्या-२३ । साइज-Ext इन् । भाषा-हिन्दी पच । विषय-लोक विज्ञान । रचनः काल-२० १६२७ माघ मुदी १२ । लेखन काल-X । पूर्व । वेष्टन नं० १४१ । विशेष-- १३. पत्र से भागे अजयराज कृत सामायिक समावाणी है । जिसका रचना काल--सं० १७६४ है। ३७५. त्रिलोकसार सटीक-मू कर्ता-नेमिचन्द्राचार्य। टीकाकार-सहस्रकीर्ति । पत्र संख्या-८८ । साइज-११४४३ इछ | भाषा-प्रति-संस्कृत । विषय-लोक विज्ञान | रचना काल-X| लेखन काल-स. १७६" माघ १० । पूर्ण । वेष्टन नं० २६। विशेष-नरसिंह अग्रवाल ने प्रतिलिपि की थी।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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