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विषय--सुभापित एवं नीतिशास्त्र ३७६. कामंदकीय नीतिसार भाषा-कामन्द । पत्र संख्या-४ | साइज-१.४५ च । भाषाहिदी गये । विग-नीति । गला! मल-x ! देखन काल-- | पूर्ण । वेटन नं० ४२८ ।
प्रारम-अम कामंदकीय मांतिसार की बात लिख्यते । आकै प्रभावतें सनातन मारग विर्षे प्रवते । सो दंड को धार्थ लक्ष्मीनान राज जयवंत प्रवरतो ॥१॥ जो विगुगत नामा श्राचारिन बडे वंश विष उपजै अयाचक गुणनि करि बढे जे रिषीश्वर तिनके वंश में प्रथिवी त्रिपौ प्रसिद्ध होती भयो ।। २ ॥ जो अग्नि समान तेजस्वी वेद के मातानि में श्रेष्ठ अति चनुर घ्यारू वेदानि की एक वेद नाई अध्ययन करतो हुवो।। ४ ।।
यन्तिम-विस्ताप विषय रूप वन विषै दोडतो पीडा उपजायवेको है स्वभाव जाको असो इन्दिय रूप हस्ती ताहि अात्मशाम १ अंश करि वशीभूत करै ॥ २७ ॥ प्रयन्न कार यामा विवान अह || मंदकी ॥ मारशरामजी की सोख ॥
३७७. चाणक्यनीतिशास्त्र-चाणक्य । पत्र संख्या-२ से १५ तक | साइज-१०६४५ च । मा-परकत । विषय-नाति । रचना काल-X । लेखन काल -x | अपूर्व । वेष्टन नं ४३० |
विशेष-रथम पत्र नहीं है तथा नाटवें अध्याय तक है । एक प्रति और है । लेकिन वह भी अपूर्ण है।
३४. ज्ञानचिंतामणि - मनोहरदास । पत्र संख्या-६ । सारज-१२४८ इन्च । मात्रा-हिन्दी पच | विर-भाषित । रचना काल-सं० १७२६ माह सुदी ७ । लेखन काल-x | पूर्ण । वेष्टन ० ३ |
३७. जैनशतक-भूधरदास । पत्र संख्पा-१ | साईज- ११४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयसुभाषित । रचना काल-सं० १७८३ पौष पुदी १३ । लखन काल-० १६E मंगसिर पूदी ५ । पूर्ण । वेष्टन नं ० १४ ।
३८२. प्रति नं०२। पत्र संख्या-१३ । साइज-१०:४५ इन्च | लेखन काल-x। पूर्ण । वेटन नं. ११८
विरोध-इस प्रति में रचना काल सं० १७८१ पौष चुदी १३ दिया है ! ३८१. नीति शतक-भर्तृहरि । पत्र संख्या-६ । साइज-१२४१६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-नीति । रचना काल-४ । लेखन काल-- I पूर्ण । वेष्टन नं. ३७६ ।
विशेष – श्लोक संख्या-११५ है। एक मति और है ।
३२. नीतिसार-इन्द्रनंदि । पत्र संख्या- | साज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-नाति । रचना काल-~। लेम्बर काल-X । पूर्ण । बेष्टन नं० ३३० |