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________________ विषय-कोश एवं छन्द शास्त्र ३५८. अनेकार्थ मंजरी-नंददास । पत्र संख्या- । साइन-१२४४३ च | साषा-हेन्दी पद्य : विश्य-कीर | रचना कान-५ 1 जेखन काल-X । पूर्ण। वैपन ० ४०६ । विशेष पथ संख्या-११ है। ३५६. अनेकार्थ संमह-हेमचंद्र सूरि। पत्र संख्या-६६ साइ3-१२६४५ इन्च । माषा-सं२५२ । वित्रय -शि । स्त्रना क.ल-x | लेखन काल-सं० १.४ ३७ कार्तिक मृदा : । पृा 1 वेरन नं ० ६१५ । विशेष-मधाम म सहना २८४ है । पत्र जीर्ण है। पत्र १८ लक संस्कृत टीका की है। ६६: प्रति नं०२। पत्र रूपः-: ४ । साइज-१६x६ । लेखन काल-० ५४८० अपार । पूग । बेनन.३१६ । विशेष- काराड तक है । सागरचंद परि ने प्रतिलिपि को हो । ३६१. अभिधानचिंतामणि नाममाला-आचार्ग इमचंद्र । पत्र संख्या-१२६ । साज-१.६x ४:५५ । भाषा-संस्कृत । विषय-कोश । (ना काल-X । सेनन काल- १:०४ । पूर्ण । बेपन नं. ३.५ 1 बिशप-एक प्रति घीर है। ३६.. अमर कोष (नाम लिङ्गानुशासन)- अमरसिंह । पत्र संख्या-११ । साज-१x६* : भाषा-मकन । विषय - कोत्र । रचना काल-xi लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं. ३२१ ॥ विशेष-- द्वितीय कार तक है । पत्रों के बीच २ में श्लोक हैं । एक प्रति और है उसमें तृतीय कायस तक हैं। - ६६३. प्रति नं० २ । पत्र संख्या-१८ | साइज-१६x४६ रश्च । टीका काल-सं० १६८१ ग्रेन मुका था । वेष्टन नं० ४ । विशेष - संस्कृत में टीका यी हुई हैं एक कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हुऐ है । च । माषा-ति । ३६४. धनंजय नाम माला- धनंजय । पत्र संख्या-१६ । साइज-१०४ वश्य-कोश । रचना काल-x | लेखन काल- १७४७ माघ । पूर्ण । देवन. ४.। शलो संख्या-२०० है। विशेष-टोंक में प्रतिलिपि हुई तथा दोधराज ने संशोधन किया । एक प्रति और है।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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