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व्याकरण शास्त्र ]
गु • विशेष—प्रति प्राचीन है
२५० सवडी
विषय-व्याकरण | रचना काल -X | लेखन काल-सं० १७०१ चैत्र सुदी २ पूर्ण वेष्टन नं० २६७ ।
[ २३१
- १८ | साइज - १०६४३ ह । माषा-संस्कृत |
विशेष खंडेलवाल शातीय हेमसिंह के पठनार्थ मन्थ रचना की गई तथा वसू प्राम में प्रतिलिपि हुई थी।
३५१. सारस्वत प्रक्रिया - अनुभूतिश्वरूपाचार्य | पत्र संख्या - १७ | साइज - १९४३ इच ।
भाषा-संस्कृत विषय-व्याकरण | रचना काल -X | लेखन काल - सं० (८६४. सावन सुदी १ पूर्ण वेष्टन ०२६६ ॥
विशेष - ६ प्रतियां और हैं ।
३५२.
सारस्वत प्रक्रिया- नरेन्द्रसूरि । पत्र संख्या ७४ से १३३ | साइन २०४३ भाषासंस्कृत] | विषय - व्याकरण रचना काल -X | लेखन काल-X1 पू । वेष्टन नं० ४१५ ।
विशेष— केवल कृदंत प्रकरण है ।
३५३. सारस्वतप्रक्रिया टीका- परमहंस परिव्राजकाचार्य । पत्र संख्या- ६६ १०४ । भाषा-संस्कृत विषय-व्याकरण । रचना काल -X | लेखन कल -x | पूर्ण वेष्टन नं०] ३५० ।।
विशेष - द्वितीय वृति तक पूर्ण है।
३५४. सारस्वत रूपमाला - पद्मसुन्दर | पत्र संख्या- ६ । साइज - १०६४ | भाषा-संस्कृत । विषय - व्याकरण रचना काल -४ | लेखन काल- ४ । पूर्ण । वेष्टन नं० ४१६ |
विशेष- श्लोक संख्या ५२ है। पंडित ऋषभदास ने प्रतिलिपि की थी।
३५५. सिद्धान्त चन्द्रिका ( कृदन्त प्रकरणी ) - रामचंद्राश्रम | पत्र संख्या - २१ | साइज - १०३५ एच भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण रचना काल -X लेखन काल सं० १६६६ द्वितीय वैशास्त्र दो । पूर्ण ।
लैप्टन नं०३८ ।
विशेष – जयनगर में बासीराम ने महात्मा फतेहचंद से प्रतिलिपि काई । तृतीत वृत्ति हैं। एक प्रति और है लेकिन वह भी अपूर्ण हैं |
- १०३४४३ इन्च मात्रा -
३५६ सिद्धान्त चन्द्रिका वृत्ति - सदानंद पत्र संख्या २६४ संस्कृत । विषयाकरण | रचनाकाल -X - लेखन काल - सं० १८६१ । पूर्ण । वेष्टन नं० ३५४ १ ३५७. हेमव्याकरण - माचार्य हेमचन्द्र पत्र संस्था - २४ । साइज - १०४४३ इन्च । माषासंस्कृत | विषय-व्याकरणः। रचना काल -x । लेखन - X पूर्णं । वेष्टन नं० ४२१ |
बिशेष – पत्र के कुछ हिस्से में मूल दिया हुआ है तथा शेष में टीका की हुई हैं। चुरादि गय तक दिया हुआ है।