________________
१६४ ]
[ अध्यात्म एवं योग शास्त्र
एक प्रति थोर है।
१२४. बोधपाड भाषा-पं0 जयचदलाया। पत्र संख्या-२१ । साइ-१२x२ माषाहिन्दी गध | विषय-अध्यारम | रचना काल-X । लेखन काल-X । पूर्ण 1 बटन नं० ८६ |
५०५. भव वैशम्य शतक-पत्र संख्या-११ । साइज-१०३४५ इन्च | भाषा-अपनश । विषयप्रयामा । स्नना काख--X | लेखन काल-* | पूछ । वेटन नं. १७३ ।
विशेष – हिन्दी में छाया दी हुई है।
५२६. मृत्युमहोत्सव-बुधजन । पत्र संख्या-३ | साइन-X६३ च । भाषा-हिन्दी पथ । विषयअध्यात्म 1 स्चना काल-x | लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं० १३० ।
१२७. योगसमुच्चय-नवनिधिराम | पत्र संख्या १२३ । साइज-Ext च । भाषा-संस्कृत । विषय-योग ! रचना काल-- | लेखन काल x वेष्टन नं. ४६० .
विशेष-५० पत्र तक श्लोकों पर हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है ।
५२८. योगसार-योगान्द्र देव । पत्र संख्या-६ । साइन-११६४५३ । भाषा-अपभ्रश । विषयअध्यात्म । रचना काल-X । लेखन काल-० १८७२ मंगसिर सुदी - । पूर्ण । वेष्टन नं. ३२६ ।
विशेष-एक प्रति और हैं।
१२६. षट्पाहुड-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र संख्या-६७ | साज-१२४५ इन्च | भाषा-प्राकृत । विषययात्म । रचना काल-x लेखन काल-x पूर्ण । वेष्टन नं. २४५ ।
विशेष-२ प्रतियों और है जिनमें केवल लिंगपाहुइ तथा शीलपार दिया हुआ है।
१३०, षट्पाहुब टीका-टीकाकार भूधर । पत्र संख्या-६२ । साज-११६x४३ स्कृत | विषय-अध्यात्म | स्वमा काल-XI लेखन काल-सं. १७४१ । पूण | वेष्टन नं० २४४ |
| भाषा
विशेष-प्रति व्या टीका सहित है । यह टीका भूधर ने प्रतापसिंह के लिए बनाई थी ।
१३१ समयसार कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र संख्या- १५१ । साज-xtra | माषा-प्रात 1 विग! यात्म 'स्वना काल-x 1 लेखन काल-सं० १८२६ भादवा सुदी १४३ पूर्ण । वेष्टन नं०५०।
विशेष-दौसा में पृथ्वीसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी। अमृतचन्द्र कृत श्रात्मख्यति टीका सहित है । एक प्रति और है।
१३२. समयसार कलशा-अमृतचंद्रसरि पत्र संख्या-8 साज-११x६) माका-संस्कत। विषय-अध्यात्म | रचना काम-४ लेखन क.स-x पूर्ण वेष्टन नं. १२.।