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________________ अध्यात्म एवं योग शास्त्र] [ १६३ विशेष-हिम्मतराय उदगपुरिया ने प्रतिलिपि की मी ११८. परमात्मप्रकाश-योगीन्द्रदेव । पत्र संख्या-२० । साइज-११४५५ । भाषा-अपभ्रंश । विषय-अध्यात्म । रचना काल-- । लेखन काल-सं० १७७४ फागुन धुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन नं० २५ । विशेष-वृदावती नगरी में श्री चंद्रप्रभु चैत्यालय में श्री उदयराम लक्ष्मीराम ने प्रतिलिपि की थी। संस्कृत में काठन शब्दों के अर्थ दिये हुए हैं । फूल दोहे ३४६ हैं। : प्रति श्रौर हैं । ११६. प्रति नं०२। पत्र संम्या-५२३ । साइज-११४४ छ । जेखन काल-१४८६ पौष कुद : पूर्ण । वेष्टन न०२४०। विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित हैं। इसमें कुल ४५ अधिकार हैं । प्रशस्ति निम प्रकार है। सर्वत् १४८६ वर्षे पौष चुदी ६ खौदिने श्री गोपांगरे: तोमरवंशमहाराजाधिराजश्रीमद्दोंगरसीदेवराज्यप्रर्वतमान श्री काष्ठासंघे माथुरान्वये पुष्करगणे मट्टारक श्री क्षेरेन्द्रकीर्तिदेवारतद्रू शिम्य श्री पद्मकोचिंदेवा: तस्य शिय श्री वादीन्द्रचूडामरा। महासिद्धान्तो धीब्रह्म हीराख्यानामदेवा । अश्रोतकान्वये मीतलगोत्रे साधु श्री गल्हा भार्या खेमा तयोः पुत्री भौणी एक पक्षा। द्वतीय पक्षा अप्रोतकात्रय गर्ग गोत्र साधु श्री तेमंधरा मार्या हरी । तयापुत्राश्चलार पपम पुत्र देसलु, द्वितीय वील्हा, तृतीय पाल्हा, इतुर्थ भरथा देसल भार्या रूपा. बीन्हा सार्या नाथी साधु श्राहा मार्या धानी तयो पुवाश्चत्वार, साधु श्री चंद। साधु हरिचंद, सा., रता, सा, साल्हा । श्री चंद्र पुत्रमेषा स्वधर्मस्त साधु भी मी मार्या मौणा शीलशालिनी धर्म प्रमावनी रत्नत्रयपाराधिनी बाई जोग्णी प्रात्मकर्मक्षया इद परमात्मप्रकाश म' लिखापितं । इसमें ३५५ दोहा है। प्रथम पत्र नया तिखा गया है। १२०. प्रवचनसार-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र संख्या-३३ | साज-१०३४४ च । भाषा-प्राक्त । विषय-अभ्याम । रचना काल-x | लेखन काल-सं० १७६८. ! पूर्ण । वेष्टन न. ३५८ । विशेष-पत्र = सक संस्कृत का भी दी है। १२१. प्रपचनसार सटीक-अमृत चन्द्र सूरि । पत्र संख्या-१०७ ! साइन १०x४६च माचासंस्कृत | विषय-अध्यात्म । रचना काल--X । लेखन काल-x। पूर्ण । वैन्टन नं० । विशेष-अन्तिम पत्र फररा हुन्ना है। बीच में २४ पत्र कम हैं । श्रागरे में प्रतिलिपि हुई यो । प्रति प्राचीन हैं १२२. प्रवचनसार भाषा---पांडे हेमराज । पत्र संख्या-३० । साइज-११४५ इंच | भावा-हिन्दी पत्र । विषय-अध्यात्म । रचना कास-सं. १७०६ । लेखन काल-x | पूर्ण । वैप्टन नं. ४४ । १२३. प्रवचनसार भाषा-पांडे हेमराज। पत्र संख्या-१२। साइज-१३x (गध)। विषय-अध्यात्म । रचना काल-२०१७७४ माघ सुदी । लेखन काल-सं० ११२ आषाद श्रेष्टन नं.६. । माथा-हिन्दी दी । पूर्ण
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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