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________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र [ १८३ विशेष-कुल १२ अधिकार है। प्रारम्म के पच जीर्ण हो चुके हैं। ४६. उनतीसबोल दंडक-पत्र संख्या-१० । साम-१०x४३ च | माषा-हिन्दी । विषय-धर्फ । रंगना काल-४ । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं. २२५ । ४७. उपदेशसिद्धान्त रनमाला भाषा--भागचंद । पत्र संख्या-४३ । साज-१०१४४, च । विषय-धर्म । रचना काल-सं. १९१२ प्राषाद पुर्दा : | लेखन काख-x । पूर्ण । बेरन म० । विशेष- मूलभ ही गायाएं भी दी हुई हैं। ४८. उपासकाध्यन-श्रा. वसुमंदि। पत्र संख्या-५५ । साज-१९४५३ | मारा-पंरकत ; विषय-प्राचार । रचना क.ले- । सेखन काल-सं० १६० भादवा प्रदा । पूर्ण श्रेष्टन २०५४ विशेष-प्रति हिन्दी अर्थ सहित है । प्राय का दूसरा नाम बसनन्दि श्रावकाचार मी है । एक प्रति पार है। ४६. प्रति नं०२। संस्था-३८ · साज-४४: हन । लेखन काल-सं०१६ चैत्र कुल ५ । पूर्ण । वेष्टन नं. ३४४1 विशेष-लक प्रशस्ति निम्न प्रकार है श्रम संवत्सरेस्मिन श्री नृप विक्रमादित्यमतादः संवत् १५ १.५ वर्षे चैप खुदी ५ धादिमवारे श्रीदुरुजांगल देशे श्री सवर्णापत्र सुभद्र्गे पातिसाह हम्माऊराव्यप्रवत्त मान श्री काष्ठासंघे माथुरा-वये पुष्कर गये भट्टारक गण कोत्तिदेवाः तत्प ग्भय भाषा प्रीप भट्टारक थी सहसकीर्तिदेव। तत्प?' विककलाकमलिनीविकाशन कास्कर भट्टारक श्री मलयकीर्तिदेवाः तत्प वादीमकु भस्मलविदारपैककेसरि, भत्र्यांपुजविकाशनैकमास एड भट्टा• श्री गुणप्रदरिदेवाः तदाम्नाय पावू वंशे गगंगोत्रे गोधानइ वास्तव्य अनेक गुख विराजमानु साधु णरणी तस्य समुद्रहन गंभोरान मेरबदौरान चतुर्विध दानवितरणैक पासायलाान सरस्वती कंठा काठतान राज्यसभा जैनसमा गाहारान् परोपकारी पंढिणु साधु गोपा तेन इदं श्रावकाचार लिखापिनं । कर्म बगार्य। पत्र नं. १७ के कोने पर एक म्होर लगी हुई है निसमें उर्दू में नानदास मूल पद.. . .. ..... त लिखा है । प्रम में कुछ परिचय प्र-थ ri का मी दिया हुश्रा है। ५०. एषणा दोष (छियालीस दोष) भैया भगवतीदास । पत्र संख्या-७ । साइज-३ ० ३४५ च । भाषा-हिन्दी पए । विषय-धर्म रचना काल-x ! लेखन काल--X । पूर्ण । वेष्टन नं० १.४ । ५१. क्रियाको भाषा-दौलतराम | पत्र संख्या- 1 साज-१२४४३ प | भाषा-'हन्दी पध। विषय-ग्रवार । रचना काल-सं० १६६५ भादवा सदी १३ | लेखन काल-सं० १६१४ भादवा बही -1 पूर्ण। . बेटन नं. १६३। विशेष एक प्रति और है।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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