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________________ १५२ ] [ धर्म एवं आचार शास्त्र पत्र संख्या २६ - १२४६ व भाषा - हिन्दी | विजय ४०. विशेष सत्ता त्रिभंगी सिद्धान्त । रचना काल -X | लेखन काल -X | पूरी | बैष्टन न० ३०३ । ४१ सिद्धान्तसार दीपक सकलकीर्ति । पत्र संख्या - २२= । साइन - १०० च । माष:संस्कृत] | विषय - सिद्धान्त । रचना काल -X | लेखन काल सं० १८२१ । पूर्ण । ष्टन नं० २५६ | विशेष- कुल १६ अधिकार है तथा अथ (श्लोक संख्या ४८३६ है । २ प्रतियां और हैं। ४२ सिद्धान्तसार संग्रह - प्राचार्य नरेन्द्रसेन । पत्र संख्पा-६६ | साइज - १२४६ मात्रासंस्कृत | विषय - सिद्धान्त । रचना काल -X | लेखन काल-सं० १८२३ ज्येष्ट मुदी २ । पूर्ण वेष्टन २५ । विशेष - जयपुर में चंद्रप्रभ चैत्यालय में पंडित रामचन्द्र ने माधवसह के राज्य में प्रतिलिपि की भी श्लोक संख्या २४१६ | एक प्रति और है। विषय - धर्म एवं माचार शास्त्र ४३. अनुभव प्रकाश दीपचंद काशलीवाल | पत्र संख्या ५४ | ३ | माषाहिन्दी मेथ | विषय - धर्म । रचना काल सं० १७७२ | लेखन काल-X | पूर्णष्टन नं० ११६ | - ४४. आचार शास्त्र | पत्र संस्था २२ | साइज - ११९४ | मात्रा - संस्कृत विषयआचार । रचना काल -४ । लेखन का x ३ पूर्ण वेष्टन नं० २१२ । ४५. आचारसार - वीरनंदि पत्र संख्या १०० | साहब - १९६६ च । माया-संस्कृत विषयश्राचार । रचमा फाल-X | लेखन काल - पूर्ण वेष्टन नं० २५१ १
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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