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________________ १८४ ] ५२. ग्यारह प्रतिमा वरान पत्र संख्या-२ आचार । रचना काल - X 1 लेखन काल - X | पूर्ण वेष्टन नं० ६५१ धर्म रचना का 1 ५३. चर्चासागर भाषा-पत्र संख्या २०० लेखन कास X पूर्व श्रीर है। विशेष से पत्र भी है। दो तीन तरह की लिपि है ५४. पौबीसडक दीनतराम पत्र संस्था- २ भाषा-हिन्दी वि धर्म 1 रचना काल -X | वन काल - X। पूर्ण | वेष्टन नं० ११२ | विशेष ७ पत्र है। दो प्रतियां और है। ५५. जिनवालिस मुनि स्वाध्याय-विमल हर्ष वाचक पत्र संख्या २१०४ भाषा-हिन्दी पद्य विषय-रचना काल- लेखन का पूर्ण २६ । विशेष प्रारम्भ सिरि पास साइन- १३३०३ भाषा-हिन्दी व विषय२०६१ । पाणािलित मूनि सं [ धर्म एवं आचार शास्त्र भाषा-हिन्दी विषय अन्तिम संत एहनीय परिजगड, विविषयदिना । एह परमव ते थाइ सुखिया तेहमी कीर्ति गवाणी ॥ जगगुरु दीर यह सोदाकार श्री विजयसेन सरिंद श्रीमानका अति प्राचीन है। ५६. त्रिवर्णाचार-सोमसेन- १२४-११बनार । रचना काम ० १६६० काम० १६०२ मसूदी पूर्ण वेटन मं० २०७ । विशेष — पालिपुत्र (पटना) में प्रतिलिपि हुई। कुल १३ अन्याय है । था भ० ७०० एक प्रति . ५७. धर्म परीक्षा-हरिये पत्र संख्या २७६ भाषा०१०४०X पूर्ण वेटन नं १०१ । सरना विशेष-प्रथम पत्र नहीं है । ५८. धर्म परीक्षा अमितगति पत्र संख्या १२ भाषाधर्म रमना काल ०१०१० लेखन - पूर्ण वेभ नं० ३१९ । ५६. धर्मपरीक्षा भाषा-३२-१६दी ग विषय-धर्म रचना कारा-Xफा -X नं. १००।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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