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________________ १०२] विशेषकर के दुर्ग में लेखक इगर ने प्रतिलिपि की । अंत में वही लिया है: ८७१. पल्य विवान पूजा-रत्न नंदि । पत्र संख्या - १ विषय-पूजा । रचना काल -X | लेखन काल -X | पूर्णा । वेष्टन नं० १२११ । संतोष हैं। ८७३. काल -X | लेखन काल -X श्रीमत्कीर्ति ने पुस्तक मि ॥ बहुपुरे ॥ ८०२ पाठ संग्रह पत्र संख्या ६१ साइज - १२०५ इंच भाषा-संस्क-प्रास विषय-संग्रह | लेखन काल -X | पूर्ण । नेष्टन नं० १०६७ । विशेष आशावर निरतिष्ठा पाठ के पाठों का संग्रह है। [ स्फुट एवं अवशिष्ट साहित्य साइज - १०३४६ | भाषा-संस्कृत | पाठ संग्रह पत्र संख्या २०-१२४८ इन्च भाषा - हिन्दी विषय-संग्रह रचना नं विशेष-१२ मत र तिल्या मन्दिर और बाल-1 पूर्व बेहन 1 ८७४. पाठ संग्रह - भगवतीदास पत्र संख्या २१० इन्च भाषा-हिन्दीसंग्रह सेना X पूर्ण वेष्टनं० ६६७। I विशेष -- निम्न पाठों का संग्रह है- भूटाष्टक वन सम्यक्त्व पच्चीसी वैराग्य पच्चीसी- २० का ० ० १७५० । ८७५ पाठ संग्रह - पत्र संख्या - २५ | साइन- १२८ १ | माषा-संस्कृत विषय संग्रह | रचना फाल - X। लेखन काल-X पूर्ण वेष्टन नं० ४०४ | विशेष- मक्लामर स्तोष, सहस्र नाम तथा सत्यार्थ सूप का संग्रह है। ०६. पाठ संग्रह पत्र संख्या - १० साहब-४ ६४ माया-हिन्दी विषय-संग्रह | लेखन विशेष - सास बहू का झगडा आदि पाठों का संग्रह है । 3. बनारसी विलास - बनारसीदास पत्र संख्या-७ से ८ हिन्दी (पद्य) विषयसंग्रह रचना काल- संग्रह का १७०१ लेखन का० १००८ कु येशन नं० ०३६ । साहब माषा
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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