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[ स्फुट एवं अवशिष्ट साहित्य
लाख पचीस गिन्यापन कौखिएक. अब बुध लीटम नोहि । सी रचना लल यौन लाय । जंग कदे धरु बनाय ॥२८॥
६२. अम्बडो-पत्र संख्या-३ । साइज-११३४३ इन्न । भाषा-हिन्दी। विषय-रफुट । रचना । काल-xलखन काल-x | पूर्ण श्रेष्टन नं. 104६ |
५६३. जीतकल्पाचचूरि-पत्र संख्या-५ | साज-.xx५ च । भाषा-प्राकत । विषय-धर्म। स्चना काल-- लेखन काल-x | पूर्ण वैटन नं.११६२ ।
विशेष-संस्कृत टिप्पया दिया हुत्रा है।
८६४. दस्तूर मालिका-बंशीधर | पत्र संख्या ६ । साहज 10x1 | मात्रा-हिन्दी । विषय-अर्थशास्त्र ।। रचना काल सं. २०६५ । लेखन काल-x | अपूर्ण एवं जीर्ष । बेष्टम में० १९८७ ।
विशेष – इसमें व्यापार संबंधी दस्तूर दिये हुए हैं । प्रारभ- ..." जो धरत गनपति नाते मैं श्रस्त जे लोड ।
भुन वदत कदंत के सर पनि जन सब को ।१॥ होत्र श्रक चक धुज पग पर प्रय पाप प्रसाद । बंसीधर वरननि कियो मुनत होय यहलाद ॥ २ ॥ अदि यदुनी लखे धनै लेखे के करतार । मटकत विनि दस्तूर है अटकत मारंभार ॥ ३ ॥ सूध पंप जो जनिरिंग पहुचहि मजल ऊताल । रहिवाना विसराद है संकट कट जाल | ४ || पातसाहियालम अमिख तालिम प्रवल प्रताप । ग्रालम मे जाको सबै घर घर जापत जाप ॥ ५ ॥ छत्र साल भुत्रपाल को रानम राज विसाल ! सकरन हिन्दु उम जाल में मनी इन्द्रदूत जाल ।। ६ ।। ताके अंता सौमिजे सकतसिंघ बलवान | उपसना व हके नंद दीह दलबान ! सहर सकतपुर राज ही सम समाज सम ठौर । परम धरम सुफान जहा सबै जगत सिर मौर ॥ ८ ॥ सक्त त्रासका पैसठ परम पुनीत करि रननि यहि ग्रन्थ को छह चरनन करि मीत ॥ ॥