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स्फुट एवं अवशिष्ट साहित्य ]
[ १६१ ८५७. किशोर कल्पद्रुम - शिव कवि । पत्र संख्या-१८ । साइज-८४६ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पाक शास्य । रचना काल-x : लेखन काल-X | अपूर्ण । बेष्टन नं. १०१२।
विशेष-इति श्री महाराज नृपति किशोरदास श्राक्षा प्रमाणेन शिव कवि विरचितं ग्रंम किशोर कल्पद्रु मे सिखरादि विधि वरनन नाम नबविंसत साखा समाप्ता । १२० पय तक है । भागे के पत्र नहीं है।
५८. कुवलयानंद कारिका-पत्र संख्या-८ | साइज-१२४७ इञ्च । भाषा-संरत | विषय--स अलंकार । रचना काल--- लेखन काल-X । पूर्ण । बेष्टन नं० १०७१ ।
विशेष--एक प्रति बोर है । इसका दूसरा नाम चन्द्राखोक भी है।
८५६, ग्रन्थ सूखी--पत्र संख्या- । साइज-८४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सूची। रचना काल-४ । लेखन काल-४ | थपूर्ण । वेष्टन नं० ११५२ ।
८६०. चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न-पत्र संख्या-३ | साज-६३४४ करून 1 भाषा-हिन्दी । विषयत्रिविध । रचना काल-X । लेखन काल-x | पूर्ण | वैप्टन नं. ३ |
विशेष-सम्राट चन्द्रगुप्त को संबह स्नान करे उनमा ५.५१ दिया हुआ है।
८६१, चौवीस ठाणा चौपई-साह लोहट । पत्र संख्या-१२ | साइज-११६x६ इन्च | आषाहिदी। विषय --सिद्धान्त । रचना काल-सं० १७३६ मंगसिर सुदी ५ | लम्बन काल-सं० १.१३ फागुण सुदी १४ शाके १६२३ । पूर्ण । वेष्टन नं० ४२ ।
विशेष--कपूरचन्द ने टोंक में प्रतिलिपि की भी । प्रशस्ति में लोहट का पूर्ण परिचय है।
रचना गौपई छन्द में हैं जिनको संख्या १३०० है | साह लोहट अच्छे कवि थे जो श्री धर्मा के पुत्र थे । पं. लक्ष्मीदास के प्राग्रह से इस प्रप की रचना की गयी मी । भाषा सरल है।
प्रारंभ- जिन नमि जिनंदचंद बंदियानंद मन |
सिंध सुध घकलंक भ्यं सर मरि मयंक तन ।।
ए अष्टादश दोष रहत उन अभ्रत कोहय । प गुण रस्न प्रकास सुजस जग उच्च मनोहम || ए शान पद गमत सवै इन सांति वहै सीतधर । ५ जीव स्वरूप दिखाय दे वह लखा लोक वर ॥
अंतिम - बुध सज्जन सब ते अरदास, लम्नि चीपई करोमत हासि ।
इनकी पारन कीऊलही, मै मोरी मति सार कही ॥१५॥