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संग्रह ]
[ १६५
बनारसीदास जिनदास
१११ से ११३
मोह बिवेक युद्ध योगीरासो जखबी पंचेन्द्रिय बेल
स्पद
ठक्करसी
हर्षकीर्ति
पंचगति की बेल पंगात
१२४ से १२६ २.का.सं.१५८५ १२१ से ११२
१२ से १३४ १३४ से १३६
रुपचंद
द्वादशानुगेक्षा
4 | भाषा-हिन्दी । लेखन
=५०, गुटका नं. १६१ । पत्र संख्या-१५ । साइज-- स-X| यपूर्ण | बेष्टन नं. १२७८ ।
निम्न पाठों का संग्रह है
कती
हिन्दी
विशेष अपूर्ण ।
केशवदास
-
विषय-सूची सवैया सोलह घडी जिन धर्म पूजा को महीराम गोधा ने लिपि की। पंच धावा पाश्वनाथ स्तुति पद
पं. हरीस
ले. का. १५७१ र. का. सं. १७.४ आवाट सुदी।
१३ पद हैं।
हर्णकार्ति
प्रारम्भ-जिन जप जिन जपु जीयढा भुवय में सारोजी । अंतिम--सुम परणाम का हेत स्यो उपजै पुनि मंतो जी ।
हरण कीरतो जीन नाम समरणी दोनी मति चको जी। जिन जपु जिन बपि जीबडी।।
हिन्दी
ले, का.म.१७१
वादिनाथ जी का पद कुशलसिंह मयाचंद गंगवाल ने रौझली में लिपि की दी।
गो
नेमिनी की लहर
पं. मुगुरु सीम माह हरीदास ने प्रतिलिपि की थी।
मनोहर