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________________ [ संग्रह ले.का.सं. १७३ जे. सं. १८६ श्राबाट पदी १४ । राबुल पच्चीसी विनोदालाल अठारह नाता का चौटाला लोहट नेमिनाथ का बारहमासा श्यामदास गोध अंतिम-नाराजी मासी नेम को राजल सोलहनी गाद जी । नेम जी मुक्ती यहुत श्यामदास गोधा उरि सानो जादुगड़ती। इति बारहमासा संपूर्ण । काका ने.क.स.१७७४ बारह मानना भगवतीदास हिन्दी ले० का सं० १.५० मानमल ने प्रतिलिप की थी। कर्म प्रकृति ५१. गुटका नं. १६२ । पत्र संख्या-1 से २१२ । साइज-८४३, ६ ! माषा-हिन्दी । लेखन काल-x | पूर्ण । वाम नं. १२७४ । विशेष--निम्न पाठ का सग्रह है-- विषय-मूनी कर्ता मावा विशेष माली रासा जिग्णदास पत्र नमीश्वर राजमति गीत नामिनाथ रामुरल गीत हर्शकीर्ति प्रारम्भ-म्हारो रे मन मोरटा गिरनारयाँ रङि वैसा । अन्तिम-मोपि गयो जिया रामह गद गिरनारि मझारे। राजमति सुरपति हुई हरष कीरति सका । नमीश्वर गीत हर्षकीर्ति भाचारासा
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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