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________________ १६४ ] [ संग्रह विशेष--चन्द्रायण व्रत कथा है। पद्म संख्या १८ से ६३० तक है | क्या गद्य पद्य दोनों में ही हैं । गद्य का उदाहरण निम्न प्रकार है— जदी सभा लोग कही । छप तो जाण प्रती श्री जसा बल ग्यान कुला सो तो काम की नहीं। श्रर पीहर सावर श्रादर माँ पर जमारी अधीको बीसर होई जी का काम व भर वो तो सीली तीखो बीघापका मनम भावतोवर ने गुलालोनी || F ६४६. गुटका नं० [सं०] १७३० कार्तिक पुदी १३ पूर्ण निम्न पार्टी का मिह है: विषय-सूची मट्टारक देवेन्द्रकीचि की पूजा सिद्धि प्रिय स्तोत्र टीका योगसार अनित्य पंचासिका कर्म प्रकृति वर्णन मुनीश्वरों की अपमान पंच १६० पत्र संख्या १६ से १४४३ मात्रा-हिन्दी लेखन व्यपेष्टन नं० १२३७ धमाल जिन विनी गुपस्थान गीत समकित भावा परमार्थ गीत पंचम मेघकुमार गीत मक्कामर स्तोत्र भाषा मनोरथ माला पद कर्त्ता योगचंद्र त्रिभुवन चंद निदास धर्मचंच सुमति की शि ब्रह्मबद्ध न रूपचंद पूनो हेमराज स्वागदास जिनदास चादि संस्कृत हिन्दी ל 33 13 " संस्कृत हिन्दी 99 " 79 29 19 AARR 33 " विशेष पत्र १३ से १४ १४ से ३२ २३ से ४६ ० ० ० १०३५ चैत्र । सांगानेर में लिखा गया । पत्र ४७ ५६, ५५ पथ है । १० से ६८ ३८ से ७२ ७२ ७१ ७३ से ७४ १७४७८२३२६ है । ७० से ८१ ८१ से ८४ ४८ ८५ से से ८६ से ३५ ६५ से ६६ १३ से १०१
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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