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________________ संग्रह ] हुआ है। [ १६३ विशेष नित्यनैमिशिक आदि का समह एवं ६३ राजाका पुरुष तथा ११२ ९५ जीवों का पीरा दिया ८४६. खनाल - लेखन काल गुटका नं० रचना का नाम समयसार नचनिका १५७ पत्र संख्या- २३४ साम्य भाषा - हिन्दी-संस्कृत | पूर्व केन नं १२०४ | I कर्ता श्री श्री शिख मोसी खरा प्रसिद्धा | प्रशस्ति ० १६६७ चैत्र शुन्यावतीमध्ये राजा सिंघम लिखा सहि देव द्वादशानुप्रेक्षा शुभाषिताव पदसंग्रह धर्म धमा ग्राम हिंडोलना वणिजारी राख ज्ञान पच्चीसी फर्म शोसी ज्ञान बतीसी बनारसीदास चंद्रगुप्त के सोलह स्वप्न ब्रहार रायमल्ल लू बनारसीदास, रुपचन्द धनं केशवदास रूपचंद बनारसीदास - विशेष मुख्य रूप से निम्न पार्टी का संग्रह है पूजा स्तोत्र एवं पद संग्रह भाषा हिन्दी अजयराज 35 ע 71 "" 17 17 33 हिन्दी 12 ४७. गुटका नं० १५८ पत्र संख्या १२२ साहब ६४ १०६ भाषा-हिन्दी लेखन का पूर्ण न० १२७४ | I " संस्कृत हिन्दो विशेष ले. का. सं० १६६० चैत्र दी । जिनगीत शिवरम को विवाह कशनसिंह, अजयराज पानतराय, दीपचंद बादि कवियों के पदों का संग्रह है। ४. गुटका नं० १५६ मत्र ०-१५ से ६४-१६३६ भाषा-हिन्दी लेखन फालन मं० १२७६ " ले. . ० १६६६ श्रावण बुदी । 17 ले. का. १६६६ आय हृदी १७ नच है ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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