________________
[संह
८४२. गुटका नं0१५३। पत्र संख्या-X18-1४४१६च । माषा-हिन्दी-मरणत । लेखन काल-- | पूर्ण । वेष्टन न० १२०० ।
मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है:मतामर स्तोत्र
मानतु गावार्य बारह खड़ी
श्रीदत्तलाल
संस्कृत हिन्दी
प्रारम्भ-कका केवल कृष्ण मज जब लग रहे शरीर ।
बहार न असा दाव है, पान पडेगी मोड ||१|| अन्तिम- हा हा इह मत्र हसत हो, हरजन हम को ।
से हॅस खाली गये ए जुर रहे सुम जोग । जे जर रहे सुभ जोय होय तीन रेपूर | होनहार भी रहे मुरापन गऐ जु धाक ॥ सत्ग म्रत पाताल काल ग्रह वाली ! भाइदतलाल वह साहिब खाली ।।
॥ बाराखडा संपूर्ण
४३. गुटका नं0१५४ । पत्र संख्या-१७। साइज-३४५६ । भागा-हिन्दी । लेखन काल-x1 श्रतराई । बेष्टन नं० १२७१ ।
विशेष-जगराम, नवल, सालिग सागचंद, यादि कत्रियों के पद हैं तथा बनारसीदास त कुछ कवि! श्रीर सवैये भी हैं।
। भाषा-हिन्दी लेखन काल--
६४४. गुटका नं१५५ । पत्र संख्या-६४ । माइज-६:४४ ६. १९०६ यासोज सुदी १३ | अपूर्ण । वेष्टन नं. १२७२ ।
कर्ता
विषय-सूची
भाषा
विशेष सुगुरु शतक जिनदास
१० का० सं० १८५२ चैत नदी मोक्ष पत्री
बनारसीदास बारह भावना मगवतीदास निर्वाण काण्ड मात्रा
10 का० सं० १७४३ श्रासोज मुदी १० जैन शतक भूधरदास
२० का.सं. १७१ पौष बुदी १३ ८४५ गटका न०१५६ । पत्र संख्या-५ | लाइज-७४ इञ्च | भाषा-हिन्दी लेखन काल-४| पूर्गा ! वेटन नं० १२।