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________________ संग्रह ] [ १६१ - विरोप-पंच मंगल पाठ तथा चौबीस ठाय का ब्यौरा है। - - ८३६. गुटका नं १४७1 पत्र संख्या-११ से ६१ । साइज-६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेखनकाल - सं० १.३८ आषाद बुदी । | अपूर्ण । वेष्टन नं. १२५ । विशेष-सामान्य पारों का संग्रह हैं तथा सूरत की बारह खली है जिसके ११३ पा है । ३७. गुटका नं. १४८ । पत्र संकपा-२७६ | साइज-७६x६ इञ्च ! भाषा-हिन्दी । लेखन कालसं. १६ व्ये ४ युद्धी ११ । अयं । वेष्टन नं १:६.] कत्ता भाषा विशेष ब्रह्मरागमन , ले० का० सं० १.२७ फाल्गुगा सुदी १ विषय-सूची हनुमंत कमा मविष्यदत्त कथा जैनरासो साधु बंदना चतुर्गति बेलि अठारह नाता का चोदाला रफुर पाठ बनारसीदास हर्षकीर्ति साड् लोहट ८३८ गुटका नं० १४६ 1 पत्र संन्या-२० ! साज-६६४४६४ञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेन्या काल-४ । पूर्ण | देष्टन नं. १२६५ । मिशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ८३६. गुटका नं. १५० 1 पत्र संख्या-११० | साइ-५६४५ : इम्य । माषा-हिन्दी । सेखन काल-X । घपूर्ण । वेष्टन नं. १२६६ । विशेष-पूजात्रों का संग्रह है। ८४०. गुटका नं. १५१ । पत्र संख्या-६४ | साज-६४१३ च 4 मामा-हिन्दी : लेखन काल-x। पूर्ण । वेष्टन नं० १२६७। विशेष ---पद व स्तोत्रों का संग्रह है। ४१. गुटका नं० १५२ । पत्र संख्या-१३० 1 साइज-६x६३ सोखन काल-सं० १७६३ । पूर्ण । वेटन नं० १२६ । | भाषा-हिन्दी-संस्कृत-प्राकृत । विशेष-नित्य नमितिक पूजामो, जयमाल तथा भाउ कवि कृप्त प्रादित्यवार कणा आदि का संग्रह है।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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