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________________ १४८] शुरु विनती साहु रिषि संधि अंगोपांग फरकन वर्णन ब्रह्मचर्यं नव माडि बन लघु स्नपन विधि अष्टादिका वपन विधि मुनि माला क्षेत्रपाल का गीत ८०६. गुटका अपूर्ण । त्रेष्टन ० ११८४ । विषय-सूची नूरकी शकुनावली श्रायुर्वेद के स वायगोला का मंत्र तथा पत्रक मारण विधि नूरकी शकुनावली विशेष - माईचंद में लिखा है। मातृका पाठ मंत्र स्तोत्र आयुर्वेद के नुसखे विषय-सूची | माणिक पूरि समाधि भरण मांडा प्रारम्भ - राम सोरठी: पुण्यसागर कर्ता नूर ।। नूर हिम्पि कर्ता नं० ११७ | पत्र संख्या २० से ३९ । साइज - १०x४३ | भाषा - हिन्दी | लेखन काल-x हर्ष कीर्ति ע 32 i 22 39 " ·"3 33 माथा हिन्दी RAR म्हारो रे मन मोडा तू तो गिरनारच्या उठि चापरे । ₹ नेमिजी स्यौं युं कहियो राजमती दुक्ख ये सौसे ॥ म्हारो ॥ " ८०७ गुटका नं० ११८ | पत्र संख्या ५३ से ८६ । साइज - ६५३ य भाषा-प्राकृत-हिन्दी | लेखन काल - X अपूर्ण । जेष्टन नं० १९८५ | 77 " भाषा प्राकृत हिन्दी विशेष अपूर्ण 21 [ संग्रह སྨ शेष ५३ से ६२ पत्र तक ६४ से ६७ पत्र तक
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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