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________________ १४६ } . [ संग्रह ७६७. गुटका नं०१०८। पत्र संख्या-१६. लेखन काल-xथिय । वेष्टन नं. १११८ । साहज-६x४ भावा-हिन्दी। विषय-संग्रह | विशेष-मुरूपतः निम्न पाठ हैं हिन्दी सलचचंद विनोदीलाल बनारसीदास कनककीर्ति श्रीपाल की स्तुति रामुखपच्चीसी उपदेश पश्चीसी का वालि पद तथा पालोचना पाठ १६ पंच मंगल विनती-बंदु श्री जिनराई हरीसिंह रूपचंद कनककीर्ति অনুষ " ले. का० १७० मादा दवाड ने प्रतिलिपि को। बनारसीदास पूर्ण कल्याणमंदिर भाषा भखड़ी रविवार कमा UEE. गुटका नं०१०४ । पत्र संख्या-२४ । साइज-८४६ इव । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं. १११ । विशेष-स्तोत्र तमा पदों का संग्रह है । अक्षर पहुत मोटे हैं । एक पत्र में तीन तमा चार पंक्तिया है। ७६. गुटका नं० ११० । पत्र संख्या-७२ । साइन-६x४ इन्च । माषा-हिन्दी-संस्कृत । लेखन कास-X । पूर्ण । वेष्टन नं० ११२० । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। संस्कृत सामायिक पाठ रजस्वला स्त्री के दोष सूतक वर्णन स्तोत्र संग्रह ८००. गुटका नं० १११ । पत्र संख्या १३ । साहज-txi इम्च । माषा-संस्कृत-हिन्दी । लेखन काम-x1 पूर्ण वेटन नं.११२२। विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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