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________________ १३६ ] [ संग्रह ७६५, गुटका नं. ७५ | पत्र संख्या-३५ । साइज-६x४ च | भाषा-हिन्दी लेखन काल-x1 प्टन नं. १.८० विशेष- सामान्य पाठों का संग्रह हैं । ७६६. गुटका नं०७६ । पत्र संख्या-६ : | साइज-६x४ इन्च । माघा-संस्कृत-हिन्दी । लेवन काल-x | पूर्ण | वेष्टन नं. १०८१ । विषय-सूची कर्ता का नाम ___ माषा মূলা विशेष विशेष चतुर्विशति रिन स्तुति पद्मनाद संस्कृत बहत्तारि जिनेन्द्र जयमाल स्वयंभू स्तोत्र श्रा०समन्तभद्र द्रव्य संग्रह प्रकत हिन्दी तपोधोतन अधिकार सत्तावनी संस्कृत ७६७. गटकान ७७ पत्र लेख्ला-६० | साज-५४४ इन्। माषा-हिन्दी लेखन काल-४। पूर्ण । वेष्टन नं. १०८३ | विशेष- श्रायुवेदिक नुसखों का संग्रह है। ७६८. गुटका २०७८ । पत्र संख्या-६४ | साज-६x४, स्व । भाषा हिन्दी-संस्कृत | विषय -संग्रह । लेखन काल-४ । अपूर्ण | श्रेष्टन नं. १०८४ । अपूर्ण मगीत संबंधी कवित्त है। ६ कवित्त है। जन्म सं १०१. फुटकर कवित्त कवित कवि पृथ्वीराज कचित्त প্তি । कवित्त खुणस ( कमी) और खुशी के सर्वमुखजी के पुत्र अमयचन्दजी की पुत्री की जन्म पत्री (चौदवाई) चिट्ठी चादबाई की सर्वसुखजी यादि को सोत्तरा ( पहेलिया) पहें लयां वृन्द कुंदलियां गणित प्रश्नोत्तर ) . - सं० १६१ २६ पहेलियाँ उत्तर सहत है।। अपूर्ण
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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