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________________ संग्रह ] [ १३५ पारम्म--वलतो सारद वरण, सारद परी पसाय | पवाडी पन्नग तणौ जानुपात कौ| जाय | प्रभु श्राणये पाकीया देत बडा चादन्त । के पालय पौटीया केई पर पान करत ।। अन्तिम-मुणौ मणौ समवाद नद नंदन अहि नारी । समझा पार संभार धी द्रोपत अनहारी ॥ अनंत अनंत के ससु श्रह वधाई स्मीयो स्वाट राधा रमण दह कर भुज काली दवणा ! त्रिभुवन पुगण महि रख तन गमय' तास श्रावो गमण ॥ ७५६. गुटका नं०६६। पत्र संख्या-४२ । साइज-६x४ इन्च : मावा-संस्थत । खेखन काल-- । पूर्ण । वेष्टन ने. १०३८ । विशेष-मक्तामर स्तोत्र एवं तत्वार्थ सूत्र है। ७६०. गुटका नं०७० । पत्र संख्या-६४ | साइज-७६x६ इश्च । माषा-प्राकृत-संस्कृत । लेखन काल-X | पूर्ण । धन न० १०३ । विशेष--कर्म प्रकृति माषा-नेमि चन्द्राचार्य कृत एवं द्रव्य संग्रह तया स्तोत्र संग्रह है। ७६१. गुटका नं०७१ । पत्र संख्या-१ | साइज-५३४४ इञ्च । भाषा--हिन्दी । लेखन काल-. १३४ | पूर्ण । वेष्टन नं. १०४०। विशेष-पद संग्रह, मक्तामर स्तोत्र भाषा चौपई बंध ऋद्धि मंत्र मूलमंत्र गुण संयुक्त षट् विधान सहित है । ७६२. गुटका नं०७२ | पत्र संख्या-२०६ । साइज-६४ इश्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेखन काल-XI पूर्ण । वेष्टन नं.१०७६ । विशेष-पूजाओं का संग्रह है अबस्या जीर्ण है। ७६३. गुटका नं०७३ | पत्र संख्या-६३ } साइज ६४५३ इव । माषा-हिन्दी-संवत्त । लेखन ___ काल-X । अपूर्ण । श्रेष्टन नं० १.४७ । विशेष--पूजा पाठों का संग्रह है । कोई उक्लेखनीय पाठ नहीं है । ७६४. गुटका नं०७४ । पत्र संख्या-१ | साज-६४५ । माषा-हिन्दी-संत । लेखन काख-x। अपूया । येष्टन नं० १०७८ | विशेष पूजा तथा पद संग्रह है।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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