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[ संग्रह
उपासकाचार परमात्मप्रकाश दोहा .परपाहर सटीक
घाराधनासार .-समयसार गाथा झानसार गाथा
पूज्यपाद योगीन्द्रदेव कुन्दकन्दाचार्य
देवसेन कुन्दकुन्दाचार्य
अपनश प्राकृत
टीका सहित है।
७४३. गुटका नं०५३ । फ्ष संरूपा-११३ । माज-Ex४ । माषा-हिन्दी-संस्कृत | लेखन काल-x। पूर्ण । वेष्टन ने० १.२. ।
विशेष-प्रथम संस्कृत में पंच स्तोत्र पाद है फिर उनकी भाषा की गई हैं।
४. गुटका नं. ४४। पत्र संख्या-३२ | साइन-Ext इ । माषा-हिन्थी । लेसन काल -* | एर्ग । वेष्टन नं. १०२२॥
विशेष-देवब्रह्म कृत गिनती संग्रह है।
७४५. गुटका नं०५५ । पत्र संख्या-१८ । साइज--६x४ च । माषा-हिन्दी - संस्कृत । लेखन काल-X1 पूर्ण । वेष्टन नं. १०२६।
विशेष-स्तोत्र एवं पना पाठों का संग्रह है।
७२६. गुटका नं०५६ । पत्र संख्या-५३ ! साइज-६x६ च । मला-हिन्दी । लेखन काल-४ । पूर्ण । एन नं. १०२३ 1
विशेष चासें गति दुःख वर्गान, गाल पचीसी, जोगी रासी, अठारह नाता चौटाल्या के अतिरिक्त वृन्द, दीपचन्द, विश्वमृषय, पनो, समदास, अजगराम, मृघरदास के पद मी हैं ।
४७. गुटका नं०४७ । पत्र संख्या-१६० । साम-x५ ५ । मावा--हिन्दी । खेत्रनकाल१७६ज्येष्ठ बुदी - 1 पर्स । वेटन न. १०२५ ।
विशेष महारक जगतकीर्ति के शिष्य बालूराम ने प्रतिलिपि का की। विश्य सभी
पता का नाम अ० रायमल्ल
हिदी
स्चमा, सं० १६२८ नेमिकमार रामो सुदर्शन रायो हनुमंत या
'मावा.
नम्न रासो