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________________ १३२] [ संग्रह उपासकाचार परमात्मप्रकाश दोहा .परपाहर सटीक घाराधनासार .-समयसार गाथा झानसार गाथा पूज्यपाद योगीन्द्रदेव कुन्दकन्दाचार्य देवसेन कुन्दकुन्दाचार्य अपनश प्राकृत टीका सहित है। ७४३. गुटका नं०५३ । फ्ष संरूपा-११३ । माज-Ex४ । माषा-हिन्दी-संस्कृत | लेखन काल-x। पूर्ण । वेष्टन ने० १.२. । विशेष-प्रथम संस्कृत में पंच स्तोत्र पाद है फिर उनकी भाषा की गई हैं। ४. गुटका नं. ४४। पत्र संख्या-३२ | साइन-Ext इ । माषा-हिन्थी । लेसन काल -* | एर्ग । वेष्टन नं. १०२२॥ विशेष-देवब्रह्म कृत गिनती संग्रह है। ७४५. गुटका नं०५५ । पत्र संख्या-१८ । साइज--६x४ च । माषा-हिन्दी - संस्कृत । लेखन काल-X1 पूर्ण । वेष्टन नं. १०२६। विशेष-स्तोत्र एवं पना पाठों का संग्रह है। ७२६. गुटका नं०५६ । पत्र संख्या-५३ ! साइज-६x६ च । मला-हिन्दी । लेखन काल-४ । पूर्ण । एन नं. १०२३ 1 विशेष चासें गति दुःख वर्गान, गाल पचीसी, जोगी रासी, अठारह नाता चौटाल्या के अतिरिक्त वृन्द, दीपचन्द, विश्वमृषय, पनो, समदास, अजगराम, मृघरदास के पद मी हैं । ४७. गुटका नं०४७ । पत्र संख्या-१६० । साम-x५ ५ । मावा--हिन्दी । खेत्रनकाल१७६ज्येष्ठ बुदी - 1 पर्स । वेटन न. १०२५ । विशेष महारक जगतकीर्ति के शिष्य बालूराम ने प्रतिलिपि का की। विश्य सभी पता का नाम अ० रायमल्ल हिदी स्चमा, सं० १६२८ नेमिकमार रामो सुदर्शन रायो हनुमंत या 'मावा. नम्न रासो
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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