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________________ संमह किशनसिंह चेतन शिक्षा गीत ग्रामोकार सिद्धि अजयराज पद ऋषमनाथ विनती ( मोहि लारो नी सरखे तुम अाइयो। बधावा ( जहाँ जन्मे हो स्वामी नामकुमार) राखल पच्चीसी भालचंद विनोदीलाल पद विश्व भूषण (जिव जपि जिमनापि जीयता) विनती पनो सहेलीगीत सुदर कनककीर्ति मंगल बिनोदीलाल शान चिन्तामणि मनोहरदास पंच परमेषि गुण हिन्दी गव सूता भेद जोगी समा লিখা धर्मरासा सुदर्शन शीख रासो . रायमल्ल जम्बूस्वामी चौपई जिसकास विशेर-विपदास का पूर्व परिचय दिया हुआ है। जयचंद साह ने लिपि को भी । श्रीपाल रासो ० गइमल्ल विशेष-जयचंद साह ने चाकम में सं. १८३२ में प्रतिलिपि की । वित्रापहार भाषा अचलकीनि कुल १२८ पच है। ४१ पच है। | | । ७४१. गुटका नं०५२। पत्र संख्या-१८८ | साज-txe इमाका-प्राकृत अपश। खेखन काल-सं० १५.. । पूर्छ । बेन नं. १०१८। कर्मा का नाम माथा प्र-प-सची मुनिसुलतानप्रेमा बोगसार दोहा अपभ्रश पं. बोगदेव योगीन्द्रदेश १५८० वी १३
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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