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________________ भट्टारक ज्ञानभूषण रचनाओं के मतिरिक्त सरस्वती स्तवन, आत्म संबोधन आदि का प्रोर उल्लेख किया है । इधर राजस्थान के जैन ग्रन्थ भंडारों की ज से लेखक ने खोज एवं छानबीन की है तब से उक्त रचनाओं के अतिरिक्त इनके और भी ग्रन्थों का पता लगा है। अब तक इनकी जितनी रचनाओं का पता लग पाया है उनके नाम निम्न प्रकार हैंसंस्कृत ग्रंथ १, आत्मसंबोधन काव्य ६. भक्तामर पूजा २. ऋषिमंडल पूजा ७. श्रुत पूजा ३. सरवशान तरंगिनी ८. सरस्वती पूजा ४. पूजाष्टक टीका १. सरस्वती स्तुति ५. पनकल्याणकोनापन पूजा १०. शास्त्र मंडल पूजा हिन्दी रचनायें १. प्रादीश्वर फाग ४. षट्कर्म रास २. जलगालग रास ५, नागद्रा रास ३३. पोसह रास उक्त रचनाओं के अतिरिक्त अभी इनकी और भी कृतियाँ उपलब्ध होने की संभावना है । अब यहां आत्मसंबोधन काव्य, तत्त्वज्ञानतरंगिणी, पूजाष्टक टीका, प्रादीवर फाग, अनगाला रास, पोसह रास एवं षट्कम रास का संक्षिप्त वर्णन उपस्थित किया जा रहा है। आत्मसंबोधन काय अपभ्रश भाषा में इसी नाम की एक कुप्ति उपलब्ध हुई है जिसके कर्मा १५ वीं शताब्दि की महापंधित रइधू थे । प्रस्तुत प्रात्मसंबोधन काम भी उसी काव्य १. देखिये पं. परमानन्द जी का "जन-ग्रंथ प्रशस्ति-संग्रह" २. राजस्थान के जव शास्त्र भंडारों को पंथ सूची भाग चतुर्ष पृष्ठ संख्या-४६३ ३. वही पृष्ठ संख्या ६५० ४. वही पृष्ठ संख्या ५२३ ५. वहीं पृष्ठ संख्या ५३७ ६. बही पृष्ठ संख्या ५१५ ७. यही पृष्ठ संख्या ६५७
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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