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________________ हंस तिलक रास' . * हंसा गीत * . . . . "राग देशीय" गविवि जिरिणदह पय लमल, पलष्ट , एक मणेग रे हंसा । पापविनाशने धर्म कर बारह मावका एह रे हंसा । हंसा तु करि संबलजजि मन पडइ संसार रे ।। हंसा ॥१॥ धन जोवन पुर नगर घर, बंधव पुत्र कला रें। हंसा। जिम आकासि बीजलीय, दिट्ठ पणट्ठा सव्व रे ।। हंसा ।।२।। रिसह जिणे सुर भुवन गुरु, जुगि धुरि उपना सोजि रे । हंसा । भूमि विलासिणि तिणि तिजिय नीलंजसा विनासि रे हिंसा ॥३॥ नंदा नंदन चक्कवइ मरह भरह पति राउ रे । हंसा 1 जिण साघीय षट खंड घरा सो नवि जाउ रे ।। हंसा ॥४॥ सगरु सरीवर गुरण तराउ सुर नर सेवइ जास रे । हंसा । नंदण सादि कहस्स तस विडिय एका सासि रे 11 हंसा ॥५।। करयल जिम जिम जलु गलइ तिम तिम खुठइ आउ रे । हंसा । नंद्र धनुष खर देह इह काचा घट जिम जाइ रे ।। हंसा ॥६।। नर नारायण राम नूप पंडव कूरव राउ रे । हंसा। रूखह सूकां पान जिम ऊडिगया जिह वाय रे ।। हंसा ।।७।। सुरनर किनर असुर गरण मह सरण न कोइ रे । हंसा। यम किंकर बलि सितमह होइन आड थाइ रे ॥ हंसा ||८|| मव मछर जोवन नडीय कुमर ललित घट राउ रे । हंसा । भव दुह बीहियुत पलीयु ए तिनि कोइ सरण न जाल रे ।। हंसा ।।। जल थल नह पर जोणीयहि ममि ममि छेहन पत्त रे । हंसा । विषया सत्तउ जीवडड पुदगल लीया अनंत रे ॥ हंसा ॥१०॥ -wrmanormoummaravaourammarrianane ब्रह्म अजित कृत इस कृति का परिचय पृष्ठ १९५ पर देखिये । इसका दूसरा नाम हंसा गीत भी मिलता है।
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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