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* चन्दा गीत *
(म० अमयचन्द)
विनय करी रायुल कहे मन्दा बीनतडी अब धारो रे । उज्जलगिरि जई वीनयो, चन्दा जिहां के प्राण आधार रे ॥१॥ गगनं गमन ताहरुबह, चया अभीय वरषे अनन्त रे। .:. पर उपगारी तू मलो, 'पंदा वलि बलि वीनवु संत रे ॥२॥.. तोरण प्रापी पाछा चल्या, चंदा कवण कारण मुझ नापारे। अम्ह तणो जीवन नेम जी, चंदा खिण खिण जोक खू पंथ रे ।।३।। विरह तणा दुख दोहिला, चंदा ते किम में सहे वाप रे । अल विनां जेम माइली, चंदा ते दुख में न कहे वाप रे ॥४॥ में भाष्य पीज प्राबस्मे, चंदा करस्ये हाल विलास रे । " सप्त भूमि ने उरदे चंदा भोगवस्यु सुख राशी रे ॥५॥ . . सुन्दर मंदिर जालीया चंदा झल के छ रत्ननी जालि रे। रत्न खचित स्टी सेजड़ी, चंदा मगमगे धूप रसाल रे ॥ छत्र सुखासन पालखी चंदा गज रथ तुरंग अपार रे। .. वस्त्र विभूषण नित नवा चंदा मंग विलेपन सार रे ॥७॥.. बट रस भोजन नव नवां, चंदा सूखड़ी नो नही पार रे.. राज ऋधि सहू परहरी चन्दा जई चढ्यो गिरि ममारि रे.1८। भूषण भार करे धरण, घन्दा पग में नेउर झमकार रे । कटि तटि रसनानडे घनि चन्दा न सहे मोती नो हार रे ॥६ झलकति मालि हूं झब्ब हूँ चन्दा नाह बिना किम रहीये रे ।
खोटलीखंति करे मुझने चन्दा नागला नाम सम कहीये रे ॥१०॥ ., टिली मोरु नल वट दहे चन्दा नाक फूली नडे नांकि रे। ..
फोकट फरर के गोफणो, चन्दा चाट्लस्यु कीजे चाक रे ॥११॥
सेस फूल सीसें नविधा, चन्दा लटकती लन न सोहोवर। ..' 'छम छम करता घूषरा चन्दा बीछीया विछि सम भावरे ।।१२।।