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________________ भट्टारक सकलकोत्ति भट्टारक स काल काति १५ वी शताब्दी के प्रमुख जन सन्त थे। राजस्थान एवं गुजरात में 'जन साहित्य एवं संस्कृति' का जो जबरदस्त प्रचार एवं प्रसार हो सका था- उसमें इनका प्रमुख योगदान था। इन्होंने संस्कृत एवं प्राकृत साहित्य को नष्ट होने से बचाया और देश में उसके प्रति एक अद्भुत आकर्षण पैदा किया। उनके हुदर में आत्म साधना के साथ साध साहित्य-रोवा को उत्वाट अभिलापा थी इसलिए युवावस्था के प्रारम्भ में ही जगत के वैभव को टुकरा बर सन्यास धारण कर लिया। पहिले इन्होंने अपनी ज्ञान पिपापा को शान्त दिया और फिर बीमों नव निमित रचनात्रों के द्वारा समाज एवं देश को एक नया ज्ञान प्रकाश दिया । वे जब तक जीवित रहे, तब तक देश में और विशेषतः बागड़ प्रदेश एवं गुजरात के कुछ भागों में माहित्यिक एवं सांस्कृतिक जागरण का शंखनाद फूकते रहे । 'सकलकोत्ति' अनोखे सन्त थे । अपने धर्म के प्रति उनमें गहरी आस्था थी। जब उन्होंने लोगों में फैले अज्ञानान्धकार को देखा तो उनमें चुप नहीं रहा गया और जीवन पर्यन्त देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करके तत्कालीन ममाज में एक नव जागरण का सूत्रपात किया। स्थान स्थान पर उन्होंने ग्रंथ संग्रहालय स्थापित किए जिनमें उनके शिष्य एवं प्रशिज्य साहित्य लेखन एवं प्रचार का कार्य करते रहते थे । उन्होंने अपने शिष्यों को साहित्य-निर्माण की ओर प्रेरित किया । वे महान् व्यक्तित्व के धनी थे । जहाँ भी उनका विहार होता वहीं एक अनोखा हेक्ष्य उपस्थित हो जाता था । साहित्य एवं संस्कृति को रक्षा के लिए लोगों की की टोलियां बन जालीं और उन के साथ रहकर इनका प्रचार किया पारती । जीवन परिचय 'सन्त सकाल कीति' का जन्म संवत् १४४३ (मन १३८६) में हुआ था।" 310 प्रेमसागर जी ने "हिन्दी जैन भक्ति-काव्य पौर कवि' में सकलकी त्ति का संवत् १४४४ में ईडर गद्दी पर बैठने का जो उल्लेख किया है वह सकलकीति रास के अनुसार सही प्रतीत नहीं होता । इनके पिता का नाम करमसिंह एवं माता का नाम शोमा था। 2 अरणहिलपुर पट्टण के रहने वाले थे। इनकी जाति १. हरषो सुणीय सूवाणि पालइ अन्य ऊरि सुपर । चौऊद त्रिताल प्रमाणि पूइ दिन पुत्र जनमीउ ।।
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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