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________________ आदीश्वरफाग' ( जन्म कल्याणक वर्णन ) आहे चत्र तणी वदि नवमीय सुन्दर वार अपार । रवि जनमी त जनमोया करइ जय जय कार ॥७३॥ प्राहे लगनादि कयू वरणव जेएइ जनम्या देव । बाल पणइ जस सुरनर प्राध्या करवा सेव ।।७४। माहे घंटा रव तब वाजीउ गाजीउ अम्बरि नाद । बिबर जनम मुसीपीघट साद ।७५। आहे एरावरण गज स न करयु सज करा वाहन सर्व। निज निज घरि थका नीवल्या कुण्इ न कीघउ गर्व ॥७६।। पाहे नाभि नरेसर प्रगण न गगणंगण देश । देवीय देवइ पूरीम नहींय किहींय प्रवेश ||७७॥ आहे माहिमई इन्द्राणीय प्राणीय वापत बाल 1 इन्द्र तबाह करि सुन्दरी गावह गीत विशाल ||७८1। आहे छत्र चमर करि घरता करता जय जय कार । गिरिवर शिखिर पहूत बहूत न लागीय वार ७६॥ प्राहे दीठ पंड्डक कानन पर पंचानन पीठ । तिहां जिन थापीय आसलि पातलि इन्द्र बईठ ||10|| आहे रतन जड़ित अति मोटाउ मोटाउ लीधउ कुम्म | क्षीर समुद्र थकू पूरीय पूटीय आएपीयू' अम्भ ||१|| प्राहे कुम्भ अयम्भ पराइ लेई ढाल्या सहस नह आठ। कांकण करि रणझणतई भरगतइ जय जय पाठ ।।८२।। आहे दुमि मि तवलीय बज्ज घुमि धूमि महल नाद । टणण टण्ण टंकारव झिरिणझिरिए झल्लर साब ।।८।। memanenimammmmmmmmmmmsammanmmmmmmmmww १. भ. शानभूषण एवं उनकी कृतियों का विशेष परिषय पृष्ठ संख्या ४९-९३ पर देखिये।
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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