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________________ १४६ १८. दीपावली गीत १६. नेमि जिन गीत २०. चौबीस तीर्थ कर देह प्रमाण चौप २१. गौतम स्वामी चोपई २२. पार्श्वनाथ की विनती २३. लोड पाश्वनाथ जी २४. भादीश्वर विनंती २५. मुनिसुव्रत गीत २६. गीत २७. जीवडा गीत २८. मरत बाहुबलि छन्द २६. परदारो परशील सभाप ३०. भरत बाहुबलि छन्द राजस्थान के जैन संत : व्यक्तित्व एवं कृतिश्व पद १. म करोस पर नारी को संग | २. संघ जी नाग जी गीत | ३. जागो रे भवियर संघ नवि करीजे | ४. जागि हो भवियरण सफल बिहांणु । ५. जागि हो भवियरण उघीये नहीं षणु & ६. उति दिन राज रुचि राज सुदि भांत । ७. भावो रे साहेली जत यादव भरणी । ८. जय जय श्रादि जिनेश्वर राय | ६. येई थेई थेई नृत्यति भ्रमरी । १०. बिनज वदन रुचि र रदन काम । ११. श्याम वरण सुगति करण सर्व सौख्यकारी । १२. आस्यु रे इम कोंच माहरा नेमजी | ११ १७ ረ ks ३० १० ७ १० ९ גן זן ד : "P इनके अतिरिक्त उनके रचे हुए कितने ही पद मिले हैं। इन पदों में से ३३६ वीं प्रथम पंक्ति निम्न प्रकार है — , gr 17 " "
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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